इंदौर। मध्यप्रदेश में नंबर वन साइंस कॉलेज बन चुके करीब 125 साल पुराने होलकर विज्ञान महाविद्यालय में जल्द ही ताइवान के प्रोफेसर फिजिक्स की कक्षाएं लेते नजर आएंगे। इस संबंध में होलकर साइंस कॉलेज और ताइवान की नेशनल डोंग ह्वा यूनिवर्सिटी के बीच करार किया गया। एमओयू पर ताइवान से आए डीन और होलकर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुरेश टी. सिलावट ने साइन किए।
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प्रदेश के किसी सरकारी कॉलेज के साथ ताइवानी नेशनल यूनिवर्सिटी के साथ हुआ यह पहला करार है। ताइवान इलेक्ट्रॉनिक और मैन्युफेक्चरिंग उद्योग का गढ़ माना जाता है। वहां की एप्लाइड साइंस की शिक्षा को औद्योगिक क्रांति के लिए अहम माना जाता है। होलकर कॉलेज के मुताबिक एमओयू की अवधि फिलहाल तीन वर्ष होगी। बाद में इसे विस्तार दिया जा सकेगा। शैक्षणिक एमओयू के तहत होलकर कॉलेज और ताइवान की यूनिवर्सिटी मुख्य रूप से फिजिक्स की शिक्षा में आपसी सहयोग की दिशा में आगे बढ़ेंगे। इसमें दोनों ही शिक्षण संस्थान के विद्यार्थी, रिसर्च स्कॉलर और शिक्षकों का एक्सचेंज भी करेंगे। यानी होलकर कॉलेज और ताइवान यूनिवर्सिटी के छात्र और शोधार्थी एक-दूसरे संस्थान में अध्ययन के लिए आएंगे।
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इसके साथ दोनों ही संस्थानों के शिक्षक भी एक-दूसरे संस्थान में जाकर विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे। शुरुआत फैकल्टी एक्सचेंज से ही होगी। पहले होलकर कॉलेज में ताइवान के प्रोफेसर पढ़ाने आएंगे, नए सत्र से इसकी शुरुआत होगी। आने वाले समय में होलकर कॉलेज में नैक का निरीक्षण होना है। नैक की रैंकिंग में एकेडमिक एक्सचेंज के अंक भी दिए जाते हैं। ऐसे में इस एमओयू का लाभ होलकर कॉलेज को रैंकिंग में मिलेगा। इससे पहले देवी अहिल्या विवि अंतरराष्ट्रीय एमओयू के लिए कोशिश में लगा है। लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है।
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