दूध से ज्यादा गोबर बेचकर दोगुनी हुई आय, किसान ने कहा- ‘गोधन न्याय योजना’ ने बदल दिया इरादा.. | Income doubled by selling more dung than milk, Farmer said- 'Godan Nyaya Yojana' has changed its intention

दूध से ज्यादा गोबर बेचकर दोगुनी हुई आय, किसान ने कहा- ‘गोधन न्याय योजना’ ने बदल दिया इरादा..

दूध से ज्यादा गोबर बेचकर दोगुनी हुई आय, किसान ने कहा- ‘गोधन न्याय योजना’ ने बदल दिया इरादा..

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:42 PM IST, Published Date : October 15, 2020/3:53 pm IST

दुर्ग। जनहित में लिया गया एक सही निर्णय किस तरह कारगर साबित होता है इसका साक्षात उदाहरण है धमधा के किसान विश्राम सिंह पटेल। वे बताते हैं कि कुछ महीनों पहले रखरखाव में हो रहे खर्च के कारण उन्होंने इरादा कर लिया था कि वह अपने सारे मवेशी बेच बेच देंगे लेकिन उनका इरादा बदल दिया राज्य शासन की गोधन न्याय योजना ने। जब उनको पता चला कि सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों और पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने से गोबर खरीदने की योजना शुरू की है तो उन्होंने भी सोचा क्यों न वो भी इस योजना का फायदा उठाएं।

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40 मवेशियों से मिलता है करीब ढाई से तीन क्विंटल गोबर, दो किस्तों को मिलाकर अब तक करीब 16 हजार रुपए कमाए, वहीं इस दौरान दूध बेचकर हुई करीब 11 हजार 300 रुपए की आमदनी की। विश्राम सिंह पटेल बताते हैं शुरुआत में तो केवल आजमाने के लिए उन्होंने गोबर इकट्ठा किया तो देखा 40 मवेशियों से करीब ढाई से 3 क्विंटल गोबर इकट्ठा हो जाता है। उनके पास 10 गायें गिर नस्ल की, 15 देसी नस्ल की हैं और 15 बछड़े और बछिया है। उन्होंने बताया कि एक गाय साल भर दूध नहीं देती जब उसके बछड़े होते तभी दूध देती है।

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इस लिहाज से एक समय मे 25 में 8 से 10 गायें ही दूध देती हैं । उनके यहाँ देसी गाय एक दिन में डेढ़ से दो लीटर दूध देती है और गिर गाय 7 से 8 लीटर। वर्तमान में 4 देसी और 3 गिर गायें दूध दे रही हैं। जिनसे प्राकृतिक रूप से एक दिन में करीब 15 से 20 लीटर दूध मिलता है। वहीं 40 मवेशियों से करीब ढाई से तीन क्विंटल गोबर मिला जिसे बेचकर पहली किस्त में 6470 और दूसरी किस्त 9450 दोनों को मिलाकर करीब 16 हजार रुपए मिले। वहीं दूध बेचकर इसी अवधि में उनको 11 हजार 300 रुपए की आमदनी हुई। विश्राम सिंह पटेल बताते हैं कि एक दिन उन्होंने करीब 700 रुपए का गोबर बेचा और उसी दिन 500 रुपए का दूध। ये देखकर उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि गोबर से भी उनको इतनी आय हो सकती।

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गौपालन को मिला सहारा और जैविक खेती को मिल रहा बढ़ावा पशुपालकों के लिए फायदे की योजना है गोधन न्याय योजना – पटेल ने बताया कि 40 मवेशियों के पालन पोषण रख-रखाव बहुत महंगा पड़ रहा था। हरा चारा तो अपने खेतों से मिल जाता था मगर बाजार से चारा, मवेशियों के टीकाकरण, श्रमिकों की मजदूरी मिलाकर काफी खर्च हो जाता था। एक समय ऐसा आया कि उन्होंने तो गौपालन बंद करने का सोच लिया था लेकिन, ‘गोधन न्याय योजना’ के तहत हो रही गोबर खरीदी से उनके गौपालन को सहारा मिला और उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। अतिरिक्त आमदनी होने से उनको मवेशियों के रख-रखाव में मदद मिलेगी।

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