रायपुर। भारतीय संस्कृति में गुरु को माता-पिता से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है, लेकिन पिछले कुछ दिनों की घटनाओं पर नजर डालें, तो डर लगने लगता है, क्योंकि शिक्षा के मंदिर में शैतानों ने दहशत मचा रखी है। पिछले कुछ दिनों में छत्तीसगढ़ के कई सरकारी स्कूलों के शिक्षकों पर अपने ही स्कूल की मासूम छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें, छेड़छाड़ और दुष्कर्म करने की घटनाएं सामने आई हैं।
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जिनसे पूरा शिक्षा जगत शर्मिंदा है। खासतौर से राजनांदगांव जिले में पिछले दो हफ्ते के भीतर आधा दर्जन से ज्यादा ऐसी शर्मिंदगी से भरी घिनौनी वारदात हुई है। प्यारेलाल स्कूल,सुकुल दैहान, सहसपुर दल्ली, अर्जुनी, घुमका, अम्बागढ़ चौकी के अरजकुण्ड स्कूल में लगातार शिक्षकों ने गुरु-शिष्या के रिश्तों को तार-तार करते हुए भोली-भाली लड़कियों की आबरू पर डाका डाला। स्कूलों में मासूम बच्चियों के साथ हो रहे दुष्कर्म की घटनाओं ने सभी को हिलाकर रख दिया है। जिन शिक्षको के हाथों में बच्चों के भविष्य गढ़ने की जिम्मेदारी है, वही शिक्षक हैवान बनकर उनकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं।
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शिक्षकों की बुरी नजर मासूम बच्चियों पर है। लगातार बढ़ती घटनाओं को देखते हुए ये मांग उठने लगी है कि शिक्षा विभाग में भी अब शिक्षकों के चरित्र सत्यापन की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। शिक्षा विभाग के अफसरों का भी कहना है कि ऐसी मानिटरिंग की व्यवस्था बनाएं। जिसमे शिक्षको की हरकत और चाल चलन पर पैनी नजर रखी जाएं। छात्राओं से लगातार शिक्षक को लेकर फीडबैक लिया जाएं। संकुल स्तर पर महिला शिक्षको की टीम बनाई जाएं और हर माह वे मॉनिटरिंग करे।
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