शहीदों की बलिदानों की गवाही दे रहा ..सैकड़ों साल से खड़ा ये बरगद का पेड़ | indipendenceday special

शहीदों की बलिदानों की गवाही दे रहा ..सैकड़ों साल से खड़ा ये बरगद का पेड़

शहीदों की बलिदानों की गवाही दे रहा ..सैकड़ों साल से खड़ा ये बरगद का पेड़

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : August 15, 2017/2:57 am IST

 

देश की आजादी में आदिवासी बहुल जिले मंडला के योगदान को कभी भूलाया नहीं जा सकता, ये वो जगह है जब आजादी की खातिर कई युवाओं ने अपने प्राणों की बलि चढ़ा दी थी, जिसका गवाह सैकड़ों साल से खड़ा वो बरगद का पेड़ है जो आज भी उनके बलिदान की गवाही दे रहा है ।

साल 1857 में अंग्रेजों के जल्मों की गवाही देता ये वही बरगद पेड़ है जिसपर 21 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सूली पर चढ़ा दिया गया था, और जहां इतने युवाओं को एक साथ फांसी दे दी गई हो, आजादी के दिन उस जिले की भूमिका को भला कैसे कोई भूल सकता है ।

हालांकि इतिहासकार कहते हैं कि आदिवासी बहुल इलाके के शहीदों को डाकू और लुटेरे तक कहा गया, उनके मुताबिक सन 1857 में स्वाधीनता आंदोलन के दौरान डिप्टी कमिश्नर वाडिंग्टन ने उमराव सिंह सहित 21 आदिवासियों को इसी बरगद के पेड़ पर लटकाकर फांसी दी थी, जिनकी कुर्बानी आज भी प्रदेश का गौरव है । 

इतिहासकारों के मुताबिक शहीद छात्रों के नाम से सिर्फ जबलपुर के एक शहीद और मण्डला के उदय चंद जैन का नाम शामिल है, जिन्होने युवाओ में क्रांति का संचार किया । लेकिन आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम के सैनानियों को इतिहास में वो जगह नहीं मिली जिसके वो हकदार हैं, लिहाजा इन पर उचित अध्यन किया जाए ।