सीएम बघेल की पहल, राज्य और सीमाओं पर प्रवासी श्रमिकों के चाय, नाश्ता, भोजन व परिवहन का निशुल्क प्रबंध, जूते-चप्पलों का भी वितरण | Initiatives by CM Baghel, free management of tea, snacks, food and transport of migrant workers on state and borders

सीएम बघेल की पहल, राज्य और सीमाओं पर प्रवासी श्रमिकों के चाय, नाश्ता, भोजन व परिवहन का निशुल्क प्रबंध, जूते-चप्पलों का भी वितरण

सीएम बघेल की पहल, राज्य और सीमाओं पर प्रवासी श्रमिकों के चाय, नाश्ता, भोजन व परिवहन का निशुल्क प्रबंध, जूते-चप्पलों का भी वितरण

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : May 17, 2020/8:55 am IST

रायपुर। कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन के इस दौर में जब अपनों ने मुंह फेर लिया। मालिकों और ठेकेदारों ने पल्ला झाड़ लिया। ऐसी स्थिति में देश के विभिन्न शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों की कम्पनियों, फेक्टरियों, मिलों, कल कारखानों, ऊंची-ऊंची अट्टालिकाओं के निर्माण में दिन रात पसीना बहाने वालों श्रमिक बेबस होकर रोते बिलखते अपने-अपने गांवों का सफर तय करने पैदल ही सड़कों पर निकल पड़े। हजार-हजार ढेड-ढेड हजार किलोमीटर की दूरी को श्रमिकों ने पांव-पांव नापने लगे। देश का शायद ही ऐसा कोई कोना बचा हो जहां के हाईवे और सड़कों पर श्रमिकों का रेला न दिखाई देता हो। बेबस मजदूर अपनी छोटी-मोटी गृहस्थी की गठरी सर पर उठाए, नन्हे-मुन्हे, छोटे बच्चों को कांधे पर लादे अपनी बेबसी की दास्तां खुद बयां कर रहे हैं।

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छत्तीसगढ़ राज्य के सीमाओं पर पहुंचने वाले सभी श्रमिकों के चाय, नाश्ते, भोजन की सुविधा, स्वास्थ्य परीक्षण एवं परिवहन निःशुल्क व्यवस्था ने श्रमिकों के दुख दर्द पर काफी हद तक मरहम लगाने का काम किया हैै। इस बेबसी के आलम में श्रमिकों को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशीलता के सभी कायल है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य के सभी सीमाओं पर पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों को, चाहें वो किसी भी राज्य के हो, उन्हें छत्तीसगढ़ का मेहमान मान कर शासन-प्रशासन के लोग उनके सेवा-सत्कार में शिद्दत से जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री की अपील पर श्रमिकों की सहायता में राज्य के स्वयं-सेवी, समाज सेवी संस्थाओं, उद्योग और व्यापारिक संगठनों के लोग भी बराबर की साझेदारी निभा रहे हैं। बेबस प्रवासी श्रमिकों को सहूलियत और सहायता पहुंचाने के छत्तीसगढ़ सरकार को इंतजाम को देखकर बरबस इकबाल की यह नज्म याद आती है- हो मेरा काम गरीबों की हिमायत करना, दर्द मंदों और जईफों से मोहब्बत करना।

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छत्तीसगढ़ राज्य के सभी बार्डर इलाके के चेकपोस्ट पर देश के अन्य राज्यों से कष्ट दायक सफर तय कर पहुंचने वाले श्रमिकों के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने न सिर्फ भोजन एवं पेयजल की व्यवस्था की है, बल्कि निःशुल्क बस की व्यवस्था कर श्रमिकों को राज्य की सीमा तक सकुशल पहुंचाने प्रबंध किया है। छत्तीसगढ़ राज्य का बाघनदी बार्डर जो राजनांदगांव और महाराष्ट्र राज्य की सीमा पर है। महाराष्ट्र, आंघ्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों के विभिन्न जिलों से यहां पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों को सकुशल उनके राज्य की सीमा तक पहुंचाने के लिए 100 बसों की व्यवस्था छत्तीसगढ़ शासन ने सुनिश्चित की है। बाघनदी बार्डर पर पहुंचने वाले अधिकांश प्रवासी श्रमिक झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल के है, जो छत्तीसगढ़ होते हुए अपने गृह राज्य जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने प्रवासी श्रमिकों की मदद में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रख रही है। तपती दोपहर और दहकती सड़क पर नंगे पांव चल कर पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों, महिलाओं और बच्चों का स्वागत सत्कार उन्हें चाय, नाश्ता देकर और चरण पादुका पहनाकर किया जा रहा है। कमोवेश यहीं व्यवस्था राज्य के सभी चेकपोस्टों पर शासन-प्रशासन ने सुनिश्चित की है। राज्य के रेंगाखार, चिल्फी, कोरिया, सूरजपुर, जशपुर, अंबिकापुर, रामानुजगंज आदि बोर्डर पर पहुंचने वाले छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को उनके गृह जिला तथा अन्य राज्यों के प्रवासी श्रमिकों को भी राज्य की सीमा तक सकुशल पहुंचाने की निःशुल्क व्यवस्था शासन-प्रशासन ने की है।

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राजधानी रायपुर में स्थित टाटीबंध का इलाका प्रवासी श्रमिकों का संगम बना हुआ है। यहां रोजाना हजारों की तादाद में अन्य राज्यों के प्रवासी श्रमिक महाराष्ट्र, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश से दो-तीन दिनों का कष्टकारी सफर दो-तीन चरणों में जैसे-तैसे पूरा कर पहुंचने वालों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके राज्यों की सीमा तक पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या में बसों की व्यवस्था की है। रूट भी तय किए गए हैं। जिसके जरिए श्रमिकों को निःशुल्क उनके राज्यों के सीमा तक भिजवाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ शासन के अधिकारी सीमावर्ती राज्यों के अधिकारियों से समन्वय बनाकर इस चुनौती पूर्ण काम को बेहद संजीदगी के साथ पूरा करने में जुटे हैं।

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राज्य के सभी चेकपोस्ट के साथ-साथ रायपुर के टाटीबंध पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों के स्वास्थ्य की जांच पड़ताल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्टाॅल लगाया गया है। टाटीबंध में जिला प्रशासन रायपुर की ओर से स्मार्ट सिटी के बैनर तले श्रमिकों को भोजन, नास्ता एवं पेयजल का निःशुल्क प्रबंध किया गया है। प्रवासी श्रमिकों की मदद में रायपुर के कई स्वयंसेवी, समाजसेवी संगठन के पदाधिकारी भी जुटे हुए हैं। टाटीबंध गुरूद्वारा प्रबंधन कमेटी द्वारा प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन का प्रबंध किया गया है। समर्थ चेरिटेबल ट्रस्ट, व्ही द पीपुल, नुकड्ड द कैफे, मदर्स केयर वुमेन्स एण्ड चिल्ड्रन वेलफेयर सोसायटी सहित अनेक संगठन के कार्यकर्ता भी प्रवासी श्रमिकों की सेवा में जुटे हैं। टाटीबंध में पहुंचने वाले श्रमिकों को उनके राज्य एवं गृह जिला भेजने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा परिवहन संघ के सहयोग से सैकड़ों की संख्या में बसों की व्यवस्था की गई है, जो छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को लगातार उनके गृह जिला तथा अन्य राज्यों के श्रमिकों को राज्य की सीमा तक पहुंचा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस व्यवस्था ने सफर कर रहे प्रवासी श्रमिकों को काफी हदतक राहत मिल रही है।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अहम फैसला यह भी लिया है कि राज्य के ऐसे प्रवासी श्रमिक परिवार, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। उन श्रमिक परिवारों मई और जून माह का प्रति सदस्य की मान से पांच किलो खाद्यान्न निःशुल्क दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ की श्रमिकों की वापसी के लिए, जहां ट्रेनों और बसों की निःशुल्क व्यवस्था की है, वहीं राज्य के अन्य जिलों में लाॅकडाउन के वजह से फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को उनके गृह ग्राम तक सकुशल पहुंचा जा रहा है।