बड़वानी। जिले में लगातार हो रही बारिश के बाद सुसनेर नदी के उफान पर होने से 2 गांवों का बाकी गांवों से संपर्क टूट चुका है। पिछले 8 दिनों से अपने गांव में फंसे लोग जान जोखिम में डालकर तार के सहारे नदी पार कर रहे हैं।
उफनती नदी के ऊपर रस्सी के सहारे ग्रामीणों को खिसकना पड़ता है, ये इनका कोई शौक नहीं बल्कि रोजमर्रा की गांववालों की मजबूरी है। असल में देश में बने बड़े-बड़े पुलों को मजबूरी की ये रस्सी चिढ़ा रही हैं।
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पानसेमल जनपद पंचायत के तिल्ली खेत और धावड़ी पंचायत से जुड़े 28 गांव के लोगों के आने जाने के लिए बस रस्सी का का ही सहारा है। रास्ता सुसनेर नदी के बीच से होकर गुजरता है। ऐसे में पुल नहीं होने से लोगों की जिंदगी पर भी बारिश के दिनों में ब्रेक सा लग जाता है। मुश्किल तब होती है जब बुजुर्गों, बच्चों और मरीजों को एक पार से दूसरे पार ले जाना पड़ता है।
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कई बार नेताओं और अधिकारियों से लोगों ने गुहार लगाई लेकिन सिवाय आश्वासन के कुछ हासिल नहीं हुआ। अधिकारियों का कहना है कि ये वन गांव हैं लिहाजा सड़क और पुल बनाने के लिए वन विभाग की अनुमति नहीं मिलने से ये दिक्कत आ रही है।
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