अब बात मध्य प्रदेश की सौंसर विधानसभा की…सियासी समीकरण और मुद्दों के पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर..
छिंदवाड़ा जिले में आती है विधानसभा सीट
कुल मतदाता- 1 लाख 89 हजार 611
पुरुष मतदाता-99 हजार 709
महिला मतदाता-89 हजार 897
वर्तमान में विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा
नानाभाऊ मोहोड़ हैं बीजेपी विधायक
कपास और संतरे की खेती के लिए मशहूर
सौंसर विधानसभा की सियासत
सौंसर विधानसभा सीट पर 2003 से लगातार बीजेपी जीत का परचम लहराती आ रही है,तो वहीं कांग्रेस जीत की तलाश में है..अब चुनाव का काउंटडाउन शुरु हो गया है..अब चुनावी माहौल दिखाई देने लगा है ।
सौंसर विधानसभा अब बीजेपी का गढ़ बनती जा रही है..2003 से लगातार बीजेपी इस सीट पर जीत दर्ज करती आ रही है..और 2003 से ही नानाभाऊ मोहेड़े बीजेपी विधायक हैं…इस बार भी चुनावी मैदान में नानाभाऊ मोहेड़े ही हो सकते हैं..हालांकि बीजेपी में टिकट के दावेदार तो बहुत हैं लेकिन सबसे बड़ा चेहरा नानाभाऊ मोहेड़ ही हैं…महाकौशल विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष संतोष जैन भी दावेदार हैं… इसके अलावा जिलाध्यक्ष नरेंद्र परमार और प्रदीप ठाकरे भी टिकट की दौड़ में हैं..अब बात कांग्रेस की करें तो प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ का नाम दावेदारों में सबसे आगे है..क्योंकि सौंसर कमलनाथ की गृह विधानसभा है..इसके अलावा अजय चौरे भी दावेदार हैं..तो वहीं विजय चौधरी और संदीप भकने भी टिकट की रेस में हैं…कांग्रेस में दावेदारों की भले लंबी फौज हो लेकिन टिकट उसी की फाइनल होगी जिस नाम पर कमलनाथ की मुहर होगी ।
सौंसर विधानसभा की मुद्दे
सौंसर विधानसभा में वो सबकुछ है जो इसे विकास के नक्शे पर जगह दिला सकता है..लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा…कहने को तो कपास और संतरे की खेती के लिए जानी जाती है ये विधानसभा, लेकिन फिर भी किसान संकटों से घिरा नजर आता है..इसके अलावा भी समस्याओं का अंबार है..
कपास और संतरे की बंपर पैदावार लेकिन किसान परेशान..यही कहानी है सौंसर विधानसभा की…कपास का समर्थन मूल्य तय नहीं होने से किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है..तो वहीं संतरा पैकेजिंग के लिए प्लांट तो बने लेकिन अब तक चालू नहीं हो सके..
सेज के नाम पर करीब 8 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई लेकिन आज तक कोई उद्योग नहीं लगा..सौंसर में बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है खेती-किसानी के अलावा रोजगार के कोई साधन हैं नहीं नतीजा पलायन को मजबूर हैं लोग…इलाके में अवैध रेत उत्खनन भी धड़ल्ले से जारी है लेकिन इस पर लगाम नहीं लग पा रही है…शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की भी विधानसभा में हालत खराब है…ग्रामीण इलाकों में तो स्कूल बिल्डिंग और शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं…शिक्षा के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं भी बदहाल हैं..अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के चलते मरीज नागपुर जैसे शहरों का रुख करने को मजबूर हैं । ये वो समस्याएं हैं जिनसे जूझ रही है सौंसर विधानसभा की जनता ।
वेब डेस्क, IBC24