संकल्प और अखंड सौभाग्य का व्रत है करवा चौथ, संपूर्ण पूजा विधि  | karwa choth pujan vidhi

संकल्प और अखंड सौभाग्य का व्रत है करवा चौथ, संपूर्ण पूजा विधि 

संकल्प और अखंड सौभाग्य का व्रत है करवा चौथ, संपूर्ण पूजा विधि 

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:20 PM IST, Published Date : October 8, 2017/5:19 am IST

अटल सुहाग, पति की दीर्घ आयु, स्वास्थ्य एवं मंगलकामना का व्रत है करवा चौथ , सौभाग्यवती स्त्रियां करवा चौथ व्रत पति की दीर्घायु की कामना के लिए करती है। संकल्प शक्ति का प्रतीक और अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत है करवा चौथ , करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी भी कहा जाता है, करवा चौथ व्रत कार्तिक मास के चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है। मिट्टी के कलशनुमा पात्र के मध्य में लम्बी गोलाकार छेद के साथ डंडी लगी रहती है, इस करक या करवा पात्र को श्री गणेश का स्वरूप मान कर दान से सुख, सौभाग्य ( सुहाग), अचल लक्ष्मी एवं पुत्र की प्राप्ति होती है करक दान से सब मनोरथों की प्राप्ति होती है।

करवा चौथ के लिए पूजन सामग्री:-

धूप, दीप, कपूर, रोली, चन्दन, सिन्दूर, काजल चावल की पीठी, पूजन सामग्री थाली में दाहिनी ओर रखें. सम्पूर्ण पूजन तक थाली में घी का दीपक प्रज्ज्वलित रहे।  

 

नैवेद्य

नैवेद्य के लिये खीर, पुआ, पूर्ण फल, सूखा मेवा मिठाई पूरी और गुड का हलवा प्रसाद एवं विविध व्यं्जन थाली में सजा कर रखें। पुष्प एवं पुष्पमाला थाली में दाहिनी ओर रखें।

 

जल के लिये ३ पात्र

१ आचमन के जल के लिये छोटे पात्र में जल भर कर रखें. साथ में एक चम्मच भी रखें.

२ हाथ धोने का पानी इस रिक्त पात्र में गिरे .

३ विनियोग के पानी के लिये बडा पात्र जल भर कर रखें .

 

चन्द्रमा

चन्द्रमा का चित्र अग्निकोण में स्थापित करें. चावल को भिगो कर पीस लें, उसके बाद पिसे चावल का एक गोल आकार बनायें, चापल की पीठी से ५ लम्बी लम्बी डंडियाँ बनावें. गोलाकार चन्द्र के ऊपर पूर्व से पश्चिम तक ४ डंडियां लगायें . पंाचवी डंडी थोडी चैडी बनायें, इसकी आकृति चैथ के चाँद के समान होनी चाहिये. इसे उत्तर से दक्षिण की तरफ लगायें।

श्री चन्द्र देव भगवान शंकरजी के भाल पर सुशोभित हैं. इस कारण श्री चन्द्रदेवजी की आराधना उनका पूजन एवं अर्क देकर सम्पन्न की जाती है. अतरू चन्द्र स्तुति, पूजन और आराधना विशेष फलदायी होती है।

सुहाग की सामग्री

मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा।

 

पंचामृत के लिए जरूरी

घी, दही, शक्कर, दूध, शहद

 

सौभाग्य का पर्व करवा चौथ

सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनें, हाथों में मेहंदी लगाएं, सोलह श्रृंगार करें, शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती जी की पूजा शुरू करें, शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन करें, करवा चैथ की कथा सुनें, माता पार्वती पर सुहाग का सारा सामान चढ़ाएं।

 

पूजन विधि

व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद इस संकल्प को करें –  मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये। घर के दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्र बनाएं। इसे वर कहा जाता है। चित्र बनाने की कला को करवा धरना कहा जाता है। आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और पक्के पकवान बनाएं। पीली मिट्टी से गौरी बनाएं साथ ही गणेश को बनाकर गौरी के गोद में बिठाएं। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं। चैक बनाकर आसन को उस पर रखें। गौरी को चुनरी ओढ़ाएं। बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें। जल से भरा हुआ लोटा रखें। भेंट देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं। गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना करें। 

नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभ

प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥

करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चैथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें। रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।