केजरीवाल की नई राजनीति, भाजपा विरोधी पार्टियों को नही दिया आमंत्रण, एकला चलो की अपनाई रणनीति ? | Kejriwal's new politics, invitation not given to anti-BJP parties, adopted strategy of Ekla Chalo?

केजरीवाल की नई राजनीति, भाजपा विरोधी पार्टियों को नही दिया आमंत्रण, एकला चलो की अपनाई रणनीति ?

केजरीवाल की नई राजनीति, भाजपा विरोधी पार्टियों को नही दिया आमंत्रण, एकला चलो की अपनाई रणनीति ?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:55 PM IST, Published Date : February 16, 2020/11:09 am IST

नईदिल्ली। दिल्ली में लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह को भव्य और आम लोगों का दिखाने के लिए कई तरह के इंतजाम देखे गए। शपथ समारोह के मंच पर दिल्ली को संवारने में योगदान देने वाले 50 विशेष अतिथि बिठाए गए जिनमें डॉक्टर, टीचर्स, बाइक ऐम्बुलेंस राइडर्स, सफाई कर्मचारी, कंस्ट्रक्शन वर्कर्स, बस मार्शल, ऑटो ड्राइवर आदि रहे। जहां खास बात ये रही कि इस शपथग्रहण समारोह के लिए केजरीवाल ने किसी विपक्षी दल के नेता को नहीं बुलाया था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो चुकी है कि क्या केजरीवाल एकला चलो की रणनीति को अपना रहे हैं?

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बता दें कि कई मौकों पर विपक्षी दलों के नेता केजरीवाल की पार्टी को विपक्षी बैठकों में बुला चुके हैं। लेकिन अपने शपथग्रहण में केजरीवाल ने किसी नेता को नहीं बुलाया। इसके पहले 2015 में भी केजरीवाल के शपथ समारोह में कोई भी बड़ा विपक्षी नेता नहीं पहुंचे थे। अब एक बार फिर 2020 में भी केजरीवाल ने अपने शपथग्रहण समारोह के मंच पर किसी भी विपक्षी नेता को नहीं बुलाया।

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केजरीवाल भले ही अपने मंच पर बीजेपी विरोधी पार्टियों को जगह देने से परहेज करते रहे हैं, लेकिन वह खुद विपक्षी दलों के साथ मंच साझा करते रहे हैं। 2015 में बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी और नीतीश की पार्टी मिलकर सत्ता में आई थी। नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह में केजरीवाल बतौर सीएम पहुंचे थे। इस दौरान मंच पर भ्रष्टाचार के मामले में फंसे लालू से उनकी मुलाकात काफी सुर्खियां बनी थी। इसके अलावा केजरीवाल कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में संजय सिंह को प्रतिनिधि के रूप में भी भेज चुके हैं।

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बड़ा सवाल यह है कि अपने शपथ ग्रहण समारोहों में विपक्षी दलों के नेताओं को नहीं बुलाकर केजरीवाल क्या संदेश देना चाहते हैं। केजरीवाल के हालिया राजनीतिक फैसलों पर नजर डालें तो पता चलता है कि कई मौकों पर उन्होंने विपक्ष के दूसरे दलों से अलग जाकर स्टैंड लिया है। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर जहां कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ मुखर रही है, लेकिन केजरीवाल इनसे अलग गए और इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन किया था।

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चुनाव प्रचार के दौरान जब केंद्र सरकार ने अध्योध्या में राम मंदिर निर्माण के ट्रस्ट बनाने का घोषणा की तो जहां कांग्रेस ने इसपर सवाल उठाए, वहीं केजरीवाल ने कहा कि अच्छे कामों के लिए कोई वक्त नहीं होता है। इसके अलावा चुनाव में खुद को राम भक्त बताने वाली बीजेपी से मुकाबले के लिए केजरीवाल बार-बार हनुमान मंदिर तस्वीरें क्लिक करवाते देखे गए।