छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव | Khajuraho Bhoramdev of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव

छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 03:09 AM IST, Published Date : November 4, 2017/11:28 am IST

भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृहनगर कवर्धा (कबीरधाम) में स्थित है।  और जब बात कबीर की हो, तो फिजाओं में ही  भक्ति का संचार हो जाता है।  कवर्धा में कबीरपंथियों की बहुतायत है। कवर्धा के आस पास  हर जगह एक ऊंची सी मीनार और एक एक सफ़ेद चादर में लिपटा हुआ चबूतरा सा दिख जाता था।  पूछताछ की तो पता चला की यही कबीर हैं, यही कबीर का सार है, और यही कबीर की भक्ति।
कवर्धा एक छोटी सी दिल्ली है, सुलझी हुई, सुन्दर सी | वहाँ पिज़्ज़ा – समोसा की जगह पोहा- जलेबी चलता हैं , सुबह-शाम-दिन-रात, नॉन स्टॉप | सड़कें साफ़, हवा साफ़, लोग शकल के काले से लेकिन दिल के एकदम साफ़
कवर्धा से 17  किलोमीटर दूर है भोरमदेव का मंदिर जहाँ के लिए बस चलती है.रास्ते से निकलते समय आपको एक पल के लिए भी नहीं लगेगा की आप एक घने जंगल की ओर जा रहे हैं | भोरमदेव के मंदिर के पीछे ‘मैकाल – विंध्याचल’ परबत श्रृखंला है और जिस जगह पर मंदिर बनाया गया है, ऐसा लगता है की सिर्फ वनवासी लोग ही उसे बना सकते थे | मंदिर ग्याहरवीं सदी में नागर शैली में बनाया गया था | इस मंदिर में 16 स्तम्भ हैं और हर एक स्तम्भ पे कलाकृतियां उकेरी गयी हैं.
और अब बात करते हैं मंदिर के बाहरी हिस्से की | नाच – गाना – सम्भोग – भक्ति, सब मुद्राएं एक साथ दिख जाती हैं | और सम्भोग की ऐसी ऐसी मुद्राएं की सोचने में ही शर्म आ जाए  आदिवासी’ नाच गा कर प्रेम का उत्सव मानते दीखते हैं | वीणा सितार, और ‘लोकल’ वाद्य यन्त्र दीवारों पर उकेरे गए हैं, और सब लोग प्रेम क्रीड़ा में मग्न हैं। मंदिर की दीवार, मंदिर के अंदर – बाहर, सब ओर बस ऐसे ही चित्र बने दीखते हैं |इन्ही चित्रों को वजह से भोरमदेव को छत्तीसगढ़  का खजुराहो कहा जाता है
भोरमदेव में वैसे तो फोटो खींचने की मनाही है, जिसका मुझे कोई लॉजिकल कारण नहीं समझ आता ,
वहीँ भोरमदेव मंदिर के पास में एक और महल है जिसे मांडवा महल कहा जाता है, जो की वास्तव में एक शिव मंदिर है | इस मंदिर का निर्माण 1349 में हुआ था, और यह मंदिर तब बनाया गया था जब राजा रामचंद्र (अयोधया वाले राम नहीं) का विवाह अम्बिका से हुआ था।

 
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