खरना पूजा- 36 घंटे व्रत होगा आज से शुरू
छठ पर्व आरंभ हो चुका है. आज इस पर्व का दूसरा दिन याने खरना है जिसे अलग अलग प्रान्त में अलग अलग नाम से भी जाना जाता है छत्तीसगढ़ में इसे लोहांडा भी कहा जाता है.लोग दूर दूर से इस त्योहार को मानाने के लिए अपने घर आते हैं. खास तौर पर लोग अपने गांव जाना ज्यादा पसंद करते है.छठ पूजा का आज दूसरा दिन है जो खरना के नाम से जाना जाता है . खरना के लिए महिलाये सुबह से उठ कर बहुत ही साफ सफाई और पारम्परिक नियमो को ध्यान में रख कर पांच तरह के पकवान तैयार करके छठी माई को भोग लगाती है. इसमें दाल, भात, चावल का पीठा, गुड़ तथा फल शामिल है. इस व्रत में गुड़ की खीर का विशेष महत्व होता है. व्रत करने वाली औरतें एक बार जब प्रसाद ग्रहण करती हैं उसके बाद वो छठ पूजा समापन के बाद ही कुछ खा पाती हैं. खरने के बाद 36 घंटे तक का लंबा व्रत शुरू हो जाता है.
इसके अगले दिन सांझ का अर्ध्य होता है. गुड़ की खीर बना कर पूजा करती है. त्योहार चार दिन तक मनाया जाता है. इस दौरान महिलाएं नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं. ऐसी मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राज-पाट हार गए तब द्रौपदी ने छठ का व्रत किया. तब से मान्यता है कि व्रत व पूजा करने से दौपद्री की मनोकामना पूरे हो गयी थी. तभी से इस व्रत को करने प्रथा चली आ रही है. इसी प्रकार कहा जाता है कि सूर्य देव और छठी देवी का रिश्ता भाई-बहन का है.
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