अपहरण, रिहाई और सवाल! सरकार को क्या संदेश देना चाहते हैं नक्सली? | Kidnapping, release and questions! What message do naxalites want to give to the government?

अपहरण, रिहाई और सवाल! सरकार को क्या संदेश देना चाहते हैं नक्सली?

अपहरण, रिहाई और सवाल! सरकार को क्या संदेश देना चाहते हैं नक्सली?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : April 9, 2021/5:39 pm IST

रायपुर: 5 दिन से नक्सलियों के कब्जे में रहा CRPF का जवान राकेश्वर सिंह मन्हास रिहा हो गया। 3 अप्रैल को तर्रेम में हुए नक्सली मुठभेड़ के बाद बंधक बनाया गया था, 4 अप्रैल को नक्सलियों ने खुद मीडिया को फोन कर इसकी जानकारी दी। वहीं 7 अप्रैल को नक्सलियों ने एक तस्वीर जारी कर बताया कि जवान उनके कब्जे में हैं और सुरक्षित हैं। इसके बाद बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। नक्सलियों ने सरकार से जवान की रिहाई के लिए मध्यस्थों के नाम घोषित करने को कहा फिर पद्मश्री धर्मपाल सैनी में बनी टीम और पत्रकारों की मौजूदगी में 8 अप्रैल को नक्सलियों ने राकेश्वर को रिहा कर दिया। हालांकि नक्सली हमले के बाद बंधक बनाए गए कोबरा जवान राकेश्वर सिंह की रिहाई और इसके तरीके को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि पूरे घटनाक्रम में सरकार को क्या संदेश देना चाहते हैं नक्सली? सवाल ये भी कि सरकार इस अपहरणकांड से कितने सबक लेगी? 

Read More: कोरोना संक्रमण के खिलाफ राजधानी में बनाया गया कंट्रोल रूम, अस्पतालों को अहम दिशा निर्देश जारी, नदी के घाट पर प्रतिबंधित किया गया स्नान

3 अप्रैल को बीजापुर के तर्रेम में मुठभेड़ के बाद से लापता कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को 5 दिन बाद 8 अप्रैल को शाम 4 बजे जनअदालत लगाकर रिहा कर दिया। नक्सलियों ने जनअदालत में सैकड़ों आदिवासियों की मौजूदगी में जवान को बांधी रस्सियां खोली। उसके बाद जवान को मध्यस्थता करने गए सामाजिक लोगों और पत्रकारों के हाथ सौंप दिया गया। सबसे बड़ी बात ये रही कि नक्सलियों ने किसी तरह की शर्त नहीं रखी. बिना शर्त उसे रिहा किया गया। हालांकि राकेश्वर को छुड़वाने वाले मध्यस्थ इस घटना को बस्तर की शांति के लिए अहम पहल करार दे रहे हैं।

Read More: RGPV यूनिवर्सिटी कैंपस में 9 साल की मासूम ने की खुदकुशी! ऑडिटोरियम में काम कर रहे थे माता-पिता

हालांकि राकेश्वर सिंह की रिहाई से ज्यादा हैरान करने वाला उन्हें रिहा करने का तरीका रहा। नक्सलियों ने राकेश्वर सिंह की रिहाई के लिए वही जगह चुनी, जहां उन्होंने सुरक्षाबलों पर हमला किया था। इस घटना को नक्सलियों का माइंडगेम बताया जा रहा है। दरअसल जिस तरह से जन अदालत लगाकर हजारों आदिवासियों की भीड़ के सामने जवान को मध्यस्थों को सौंपा। उससे भी नक्सलियों ने ऐसा संदेश देने की कोशिश की है कि इलाके में उनका राज है। शायद यही वजह है कि राकेश्वर सिंह मन्हास की इतनी आसानी से रिहाई के बाद कई सवाल उठ रहे हैं।

Read More: हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी परीक्षाओं का प्रवेश पत्र जारी, ऐसे करें डाउनलोड

मसलन जब जवान को निशर्त रिहा करना था, तो आखिर मध्यस्थों की आवश्यकता क्यों पड़ी?  क्या कोई गोपनीय मैसेज सरकार और नक्सलियों के बीच इन मध्यस्थों के जरिए पहुंचाई गई? नक्सलियों को इस पूरे प्रकरण से क्या फायदा हुआ? क्या इस बार नक्सलियों की रणनीति केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की रणनीति पर भारी पड़ी है? ऐसे में अब नक्सल मोर्चे पर सरकार की क्या रणनीति होगी? बहरहाल कई सवाल हैं, जिन्हें लेकर अब सियासत भी तेज हो गई है। पूर्व गृहमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि नक्सली माइंड गेम खेलकर सरकार को गुमराह कर रहे हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि सरकार नक्सलियों की रणनीति का जवाब देने में काफी पीछे हैं। हालांकि कांग्रेस का इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अपना तर्क है।

Read More: कहीं आपने भी तो नहीं खरीदा इस दुकान से सामान, परिवार के लोग संक्रमित होने के बावजूद दुकान खोलकर बेच रहे थे सामान

हालांकि जिस तरह से पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, उसे लेकर पुलिस के कमांड एंड कंट्रोल पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि ऑपरेशन उस इलाके में किया गया जहां पिछले 10 वर्षों से एक जैसी गलती दुहराई जा रही, जिसके नतीजे हर बार वहीं आते हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि पुलिस रणनीतिक तौर पर इन दस सालों में क्या सुधार कर पाई है? वो भी तब जब इलाके में नए कैंप और अत्याधुनिक संसाधन पिछले कुछ सालों में बढ़े हैं। ऐसे में अब सरकार और सुरक्षा बलों को तय करना है कि इस घटना में छिपे संदेशों से वो कितना सबक लेते हैं और आगे लाल गरियारे में किस तरह मुकाबला करने के लिए वो भावी रणनीति बनाते हैं।

Read More: IAS अधिकारियों का तबादला आदेश जारी, देखिए पूरी सूची

 
Flowers