झीलों का लेना हो मजा तो लद्दाख किसी जन्नत से कम नहीं | Leh Ladakh Tour:

झीलों का लेना हो मजा तो लद्दाख किसी जन्नत से कम नहीं

झीलों का लेना हो मजा तो लद्दाख किसी जन्नत से कम नहीं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 04:00 PM IST, Published Date : September 21, 2018/1:47 pm IST

अगर आप  कम बजट में अच्छी  डेस्टीनेशन तलाश रहे है. तो आपको लद्दाख से बेहतर कोई जगह महि मिलेगी ये आपकी ट्रैवलिंग लिस्ट में परफेक्ट बैठती है। हम बात कर रहे हैं भारत के ठंडे और खूबसूरत शहर लेह लद्दाख की। सर्द मौसम, बर्फ से ढके पहाड़, सुंदर झीलें और शांत वातावरण के लद्दाख किसी जन्नत से कम नहीं लगता। 

बर्फ ही बर्फ है  लेह लद्दाख में 

बर्फीली घाटियों से ढंके पहाड़ और कल-कल बहते ठंडे पहाड़ी झरने वाला लेह लद्दाख किसी स्वर्ग से कम नहीं है। हरियाली चुनर, भूरे-बंजर पत्थरों से पटी विशाल पर्वत श्रृंखलाएं, हजारों फीट की ऊंचाई वाले पर्वतों के बीच बेहद खूबसूरत घाटियां, दोनों तरह की नदियां, किसी रेगिस्तान की तरह बिछी रेत, खूबसूरत झील, ये सब नज़ारे आपको लद्दाख में आसानी से देखने को मिल जाएंगे। इन सबके अलावा यहां पर बने हुए पांगोंग लेक, शांति स्तूप, लेह प्लेस, नुब्रा वैली, मैग्नेटिक हिल भी बेहद खुबसूरत है।

 

शांति पूर्ण पर्यटक स्थल 

सितंबर के महीने से ही लद्दाख में ठंड शुरू हो जाती है, जिसके कारण यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। इस महीने में आपको यहां रिजार्ट से लेकर गाड़ियों तक सुविधा आराम से मिल जाएगी। इसके अलावा इस मौसम में यहां पेन्‍गॉन्‍ग झील के पास शांति से बैठने सबसे ज्‍यादा मजा आता है।

सस्ते  होटल

सितंबर से नवंबर के महीने में यहां पर्यटकों की भीड़ लगी है, जिसके कारण होटलों के किराए सस्ते कर दिए जाते हैं। इतना ही नहीं, यहां कुछ ऐसे खास होटल्स भी हैं जो ऑफ सीजन से लेकर ऑन सीजन में खुले रहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि सितंबर महीने में कुछ होटल्‍स 50 फीसदी तक डिस्‍काउंट देते हैं।

 

फेस्टिवल का लें मजा 

सितंबर महीने में आप यहां लद्दाख का खास फेस्टिवल सेलिब्रेशन भी देख सकते हैं। सितंबर के महीने में नरोपा त्‍योहार मनाया जाता है, जिसे लद्दाख का कुंभ भी कहा जा सकता है। इसके अलावा भी सितंबर में यहां बहुत से त्यौहार सेलिब्रेट किए जाते हैं।

 

 

 

 

तुर्तुक घाटी

लेह लद्दाख से लगभग 211 कि.मी की दूरी पर बसा तुर्तुक बेहद खूबसूरत गांव है। इस गांव के लोग लद्दाखी, बालती, और उर्दू बोलते हैं। इसे भारत की आखिरी चौंकी और सियाचिन ग्लेशियर का गेटवे भी कहा जाता है।

पनामिक कुंड

फूलों की घाटी के साथ-साथ इस जगहें को गर्म पानी के कुंड से भी जाना जाता है। इस कुंड़ के पानी में बुलबुले निकलते हुए देख सकते है।

वेब डेस्क IBC24

 
Flowers