भोपाल। मध्यप्रदेश में विरोधी पार्टियों के नेता एक दूसरे की नजर और याददाश्त को बढ़ाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं. तीसरे चरण के चुनाव से पहले एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इतना ही नहीं बादाम की लेनदेन हो रही है। सियासत का ये सलीका नेताओं की सेहत के लिए तो अच्छा है। लेकिन चुनावी सीजन में किसानों के नाम पर लड़ने-भिड़ने वाले ये नेता अगर इतने ही फिक्रमंद होते तो हर साल सैकड़ों किसान सुसाइड क्यों करते?
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लिहाजा कर्जमाफी हुई या नहीं हुई इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच शुरू हुई जबानी जंग अब कागजी सबूतों के बंडल से होते हुए च्यवनप्राश पर आ गई है। जनता जिन नेताओं से आस लगाए हुए है उनकी खुद की आस इस चुनावी च्यवनप्राश पर टिकी है। नेताओं द्वारा अलग-अलग ब्रांड के च्यवनप्राश गिफ्ट किए जा रहे हैं।
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कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले च्यवन ऋषि जब बूढ़े होने लगे तो अश्विनी कुमार से कुछ ऐसा लाने की प्रार्थना की जो उन्हें फिर से जवान कर दे, अश्विनी कुमार ने यहीं च्यवनप्राश भेंट की थी. तब अश्विनी कुमार सोंचे भी नहीं होंगे कि शरीर को जवान रखने के लिए उन्होंने जो च्यवनप्राश बनाया उससे नेता सियासत भी चमकाने लगेंगे।
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कांग्रेस पार्टी ने तो पूर्व सीएम शिवराज सिंह के लिए च्यवनप्राश के साथ बादाम और आई ड्रॉप भी गिफ्ट किए है। लेकिन आज की सियासत की तरह ही आज का च्यवनप्राश भी बेअसर साबित होते नजर आ रहा है। प्रदेश के 55 लाख किसान न च्यवनप्राश खाते हैं और ना ही बादाम उनके नसीब में है। हां, किसानों के लिए आई ड्रॉप जरूरी है। क्योंकि चुनाव में बड़े-बड़े वादे कर नेता जब आंख में धूल झोंककर चले जाएंगे तो आई ड्रॉप की जरूरत पड़ेगी।