भोपाल। लोकसभा चुनाव 2019 में भोपाल सीट की लड़ाई में अब धार्मिक झंडे और नारों ने इसे धर्मयुद्ध बना दिया है। भगवाधारी साध्वी का जवाब देने के लिए दिग्वजय सिंह भी भगवा झंडा लेकर निकल चुके हैं। उनके साथ में नारे लगाते साधु-संत भी चुनावी मैदान पर आ गए हैं। ऐसे में कम से कम भोपाल के लिए अब दूसरे सारे मुद्दे हवा हैं। यहां सिर्फ खुद को सामने वाले से ज्यादा बड़ा धार्मिक साबित करने की होड़ लग चुकी है।
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भोपाल की सड़कों पर साधु-संन्यासियों की टोली और उनके हाथ में लहराते भगवा झंडे को देखकर धोखा मत खाइएगा कि ये बीजेपी या साध्वी प्रज्ञा की नहीं बल्कि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की रैलियां भी हो सकती हैं। हर चुनावी सीजन में पार्टी बदलने वाले कंप्यूटर बाबा आगे-आगे हाथ में माइक लेकर नर्मदा मैया के जयकारे लगवाने का काम करते हैं। लिहाजा सवाल ये है कि क्या नेताओं ने मान लिया है कि भोपाल में भगवा ही वोट दिला सकता है?
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इतना ही नहीं हाथ में भगवा स्कार्फ लेकर सड़क किनारे अलर्ट दिख रहे कुछ लोगों ने खुद को सादी वर्दी में तैनात पुलिसकर्मी भी कह डाला, पूरे माहौल पर भगवा का रंग और भगवान के नारे गूंजने लगे है लेकिन इसी बीच रास्ते में कुछ लोगों ने सड़क किनारे खड़े होकर मोदी-मोदी के नारे लगा दिए। जिसके बाद दोनों गुटों के बीच टकराव की स्थिति आ सकती थी, लेकिन नारों तक ही मामला निपट गया। पुलिस ने रैली के बीच में अलग नारे लगाने वालों की पहचान कर उनपर कार्रवाई की बात की है।
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वहीं कार्रवाई में ज्यादा देर नहीं लगी। दिग्गी राजा की रैली में पीएम मोदी का नारा लगाने वाले कुछ युवकों पर केस भी दर्ज हो गया है। उधर दूसरी तरफ भगवाधारी साध्वी प्रज्ञा ने बुधवार को वोट के लिए बुलेट पर निकली। लिहाजा वोट के लिए चल रही इस जोर आजमाइश में खुद को बड़ा हिंदू साबित करने की चुनौती है। मेरा भगवा बनाम तेरा भगवा की इस टक्कर में भोपाल धर्मयुद्ध का मैदान बन चुका है। फैसला अब जनता-जनार्दन को करना है।