रायपुर का रण : विधानसभा की हार के बाद लोकसभा में जनता देगी भाजपा का साथ या थामेगी कांग्रेस का हाथ? | Lok Sabha Elections 2019 :Raipur lok sabha Constituency : BJP VS Congress

रायपुर का रण : विधानसभा की हार के बाद लोकसभा में जनता देगी भाजपा का साथ या थामेगी कांग्रेस का हाथ?

रायपुर का रण : विधानसभा की हार के बाद लोकसभा में जनता देगी भाजपा का साथ या थामेगी कांग्रेस का हाथ?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : April 21, 2019/11:10 am IST

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 23 अप्रैल यानी तीसरे चरण में मतदान होना है, जिसमें 25 उम्मीदवारों की किस्मत EVM  में कैद हो जाएगी। इसबार रायपुर लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण के बजाय प्रत्याशियों के चेहरों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बता दें कि इस सीट पर लंबे समय से भाजपा का कब्जा रहा है, लेकिन इसबार भाजपा ने 7 बार सांसद रहे रमेश बैस की टिकट काटते हुए सुनील कुमार सोनी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने भी रायपुर के महापौर प्रमोद दुबे पर दांव खेला है।

विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान

रायपुर संभाग के तहत विधानसभा की 20 सीटें आती हैं, 2018 के विधानसभा चुनाव में रायपुर संभाग की जनता ने भाजपा के कमल को नकारते हुए कांग्रेस के हाथ को थामा है। बता दें कि 2013 के विधानसभा चुनाव में संभाग की 20 में से 15 सीट पर भाजपा को जीत मिली थी। जबकि 2018 में जनता ने कांग्रेस को जनादेश दिया है। संभाग की 13 सीट पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत हुई है। वहीं, भाजपा को पांच सीट पर संतोष करना पड़ा। जकांछ-बसपा गठजोड़ भी दो सीट पर जीत दर्ज करने में सफल रही है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर अपनी सीट बचाने में सफल रहे हैं, जबकि पूर्व मंत्री राजेश मूणत और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को करारी हार का सामना करना पड़ा है।

रायपुर : लोकसभा  चुनाव 2019

रायपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस विधानसभा के परिणाम दोहराने की कोशिशों में जुटी है जबकि भाजपा के पास इन परिणामों को पटलने की चुनौती है। बता दें कि इसबार रायपुर लोकसभा की लड़ाई में जातिगत समीकरण के बजाय प्रत्याशी को केन्द्र में रखकर लड़ा जा रहा है। इस बार दोनों ही दलों ने कुर्मी समाज से बाहर जाकर प्रत्याशी उतारे हैं। भाजपा के गढ़ के रूप में तब्दील हो चुके इस क्षेत्र में रमेश बैस का न होना ही सबसे बड़ा चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा विधानसभा के परिणामों की खाई को कम करने के लिए मोदी फैक्टर पर भी जोर दे रही है।

रायपुर में पीछले तीन लोकसभा चुनाव

2014 लोकसभा चुनाव

2014 में रायपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार रमेश बैस ने जीत दर्ज की थी, बैस ने करीब 633836 मत हासिल किए। जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले कांग्रेस प्रत्याशी सत्‍य नारायण शर्मा को करीब 471803 वोट मिले थे।

2009 लोकसभा चुनाव

2009 के लोकसभा चुनाव में रायपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने जीत का परचम लहराया था, साल 2009 में भी बीजेपी के रमेश बैस ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने 3 लाख 64 हजार 943 वोट हासिल किए थे और भूपेश बघेल को हराया था। इसमें भूपेश बघेल को सिर्फ तीन लाख 7 हजार 42  वोट मिले थे।

2004 लोकसभा चुनाव

2004 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के टिकट से रमेश बैस ने बाजी मारी थी और कांग्रेस के श्यामाचरण शुक्ला को हार का मुंह देखना पड़ा था।

लोकसभा चुनाव 2019 : कांग्रेस प्रत्याशी

रायपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने प्रमोद दुबे को मैदान में उतारा है, प्रमोद दुबे रायपुर के महापौर हैं, और रायपुर में काफी लोकप्रिय भी हैं। प्रमोद दुबे ने अपना राजनीतिक करियर 1985-1986 में छत्तीसगढ़ कॉलेज छात्र संघ चुनाव से शुरू किया था, इस चुनाव को जीतकर वो छात्र संघ के उपाध्यक्ष बने।  1986-1987 ने राज्य स्तरीय छात्र संघ का चुनाव जीतकर पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष बने। उनके इसी कार्यकाल में इंदिरा गांधी कृषि विश्विद्यालय को जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से अलग कर स्वायत्त बनाया गया। 1997 से 2000 के दौरान प्रमोद दुबे शहरी एवं ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष थे। जिसमें उन्होंने लातूर भूंपक प्रबंधन के लिए स्वेक्छा से काम किया था।  2001 में उन्हें छत्तीसगढ़ युवा कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया। 2015 चुनावों में वे महापौर पद के लिए खड़े हुए और जीतकर महापौर बने। 

लोकसभा चुनाव 2019 : भाजपा प्रत्याशी

छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत करने वाले सुनील सोनी भी कई छात्र आंदोलन का हिस्सा रहे हैं। सुनील सोनी अभी छत्तीसगढ़ बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं। सोनी, जनवरी 2000 से 25 दिसंबर 2003 तक नगर पालिका निगम रायपुर के अध्यक्ष रहे हैं। इसके बाद 2003 से 2010 तक नगर पालिका निगम रायपुर के महापौर रहे। सोनी रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे हैं।  

कुल मतदाता

लोकसभा सीट पर 2014 में पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 79 हजार 133 थी, जिनमें से 6 लाख 59 हजार 70 ने वोट डाला था। वहीं पंजीकृत 9 लाख 25 हजार 97 महिला वोटरों में से 5 लाख 91 हजार 775 महिला वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।