लोकसभा चुनावों का रिकॉर्ड, 85 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत हो चुकी है जब्त.. जानिए | Loksabha Election records in cg

लोकसभा चुनावों का रिकॉर्ड, 85 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत हो चुकी है जब्त.. जानिए

लोकसभा चुनावों का रिकॉर्ड, 85 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत हो चुकी है जब्त.. जानिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : March 23, 2019/10:09 am IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए लोकसभा चुनावों में जमानत जब्त होने के भी दिलचस्प रिकॉर्ड रहे हैं। मजेदार बात ये है कि राज्य स्तरीय क्षेत्रीय दल और पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों के अलावा निर्दलीय प्रत्याशियों के ही नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों तक के जमानत जब्त होते रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन लोकसभा चुनाव में औसतन 85 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है।

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लोस चुनाव के दिलचस्प रिकॉर्ड , बड़े पैमाने पर जमानत जब्त

छत्तीसगढ़ में पिछले तीन बार के लोकसभा चुनाव में 491 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था..जिसमें पंजीकृत क्षेत्रीय दल, राष्ट्रीय दल, गैर पंजीकृत दल के अलावा बड़ी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं 491 में से 422 प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे । आंकड़ों के मुताबिक साल 2004 में संसदीय चुनाव में 102 उम्मीदवार प्रदेश भर में खड़े हुए जिसमें से 79 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। इसी प्रकार बीते 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 178 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें से 154 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए ।

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यही हाल 2014 के लोकसभा चुनाव में रहा। इस साल 211 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इनमें से 189 प्रत्याशी जमानत तक नहीं बचा सकें ।दरअसल लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए हर प्रत्याशी को जमानत के रूप में चुनाव आयोग के पास एक निश्चित राशि जमा करनी होती है। जब प्रत्याशी निश्चित मत हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है। जब्त होने वाली जमानत राशि चुनाव आयोग की कमाई का एक जरिया भी है। चुनाव संपन्न होने के बाद आयोग जब्त की गई राशि को सरकार के खजाने में जमा करवा देता है।

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ताज्जुब की बात ये है कि इतने बड़े पैमाने पर जमानत जब्त होने के बाद भी चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों की संख्या घटने का नाम नहीं ले रही।
ये एक बड़ी विडम्बना ही है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में आज भी तमाम लोग चुनाव रूपी लोकतांत्रिक पर्व को गंभीरता से नहीं लेते। बताते हैं कि जितनी बड़ी संख्या में लोगों की जमानत जब्त हो जाती है। उसका एक बड़ा हिस्सा सिर्फ पब्लिक फिगर बनने के लिए चुनावों में खड़े होते हैं।