रायपुर| ‘कांटे की टक्कर’ कार्यक्रम के माध्यम से IBC24 अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों के बीच के टकराव का आंकलन कर रहा है। आप हमारे इस कार्यक्रम में देख पाएंगे कि आखिर अपने-अपने लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की चुनाव जीतने को लेकर तैयारियों कैसी हैं। साथ ही हम क्षेत्र के सियासी माहौल और अभी तक के राजनीतिक इतिहास पर भी नजर डालेंगे।
बिलासपुर लोकसभा सीट जहां बीजेपी के लिए अभी तक गढ़ साबित हुई है, तो वहीं कांग्रेस के लिए ये लोकसभा सीट चुनौती बनती जा रही है। बीते 25 सालों से कांग्रेस इस लोकसभा सीट को अपने पाले में करने के लिए जोर आजमाइश कर रही है।
बिलासपुर में विधानसभा चुनाव 2018 में जिस तरह सत्ता परिवर्तन का जोर चला, और बदलाव का राजनीतिक मुद्दा हावी रहा, इससे कांग्रेस के लिए एक उम्मीद की किरण जगी है।
बिलासपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अटल श्रीवास्तव को अपना उम्मीदवार बनाया है, 49 सवाल के अटल मूलत: बिलासपुर के ही रहने वाले हैं और सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उन्हें आरटीआई एक्टिविस्ट के तौर पर भी जाना जाता है। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने टिकट के लिए दावेदारी रखी थी। अटल श्रीवास्तव ने अपने 20 साल के राजनीतिक जीवन में कई आंदोलनों में हिस्सा लिया है।
इससे पहले उन्होंने बिलासपुर के नेहरू नगर वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ा था, लेकिन उसमें वे हार गए थे। अटल ने साल 2018 में असपा बचाव पदयात्रा का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा वे राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते हैं। राहुल गांधी की साल 2015 में किसान पद यात्रा और अन्य यात्रा में उन्होंने बतौर इंचार्ज काम किया था।
भाजपा ने संघ की पृष्ठभूमि वाले अरुण साव को बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा आलाकमान के फैसले से साफ है कि 1.76 लाख वोटों से सांसद बने मुंगेली निवासी लखनलाल साहू का टिकट काटते वक्त क्षेत्र और जातीय समीकरण को तवज्जो देते हुए स्वजातीय तथा मुंगेली के ही अरुण साव को प्रत्याशी बनाया। साव पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के समर्थक माने जाते हैं और पिछले महीने भर से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी के संपर्क में थे।
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