रायपुर। विधानसभा की फाइट के बाद अब लोकसभा चुनाव के लिए देशभर में माहौल टाइट है। लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश का माहौल जानने के लिए IBC24 भी ‘माहौल टाइट है’ कार्यक्रम के माध्यम से जनता की नब्ज टटोलने के लिए निकल पड़ा है। हमारी टीम हर दिन प्रदेश की अलग-अलग जगहों पर जनता के बीच जाकर चुनाव को लेकर लोगों की राय और मुद्दों को समझकर आप तक पहुंचा रही है।
‘माहौल टाइट है’ में अब बारी है बिलासपुर के सियासी माहौल को जानने की। जब हमारी टीम बिलासपुर पहुंची तो हमने लोगों से लोकसभा चुनाव को लेकर माहौल जानने की कोशिश की। साथ ही आम जन के मुद्दों और समस्याओं को भी समझा। जाना की आखिर लोग इस चुनाव में किसे विजय बनाना चाहते हैं।
छत्तीसगढ़ की बिलासपुर लोकसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। बिलासपुर लोकसभा सीट में 8 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से दो अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, जिनमें कोटा, तखतपुर, बेलतेरा, लोरमी, बिल्हा, मस्तूरी(एससी), मुंगेली(एससी) और बिलासपुर शामिल है। आपको बता दें कि बिलासपुर राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।
बिलासपुर को बीजेपी का गढ़ भी माना जाता है, बिलासपुर में हुए पिछले 8 चुनावों में से 7 बीजेपी ने जीते हैं। भाजपा के पुन्नूलाल मोहले बिलासपुर से लागतार चार बार जीत दर्ज कर चुके हैं। वर्तमान में इस सीट से बीजेपी के लखन लाल साहू सांसद हैं, हालांकि इसबार बीजेपी ने उन्हें मौका नहीं दिया है। उनकी जगह एक नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतारा है।
अगर बिलासपुर लोकसभा सीट पर 2019 चुनाव के टकराव की बात की जाए तो, विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जाती के बाद बीजेपी एक कदम पीछे है। यही कारण था कि बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले बिलासपुर से भी बीजेपी को सांसद का उम्मीदवार बदलना पड़ा और एक नए चेहरे को मैदान में उतारना पड़ा। बिलासपुर लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है, इसलिए चुनावी नतीजे चाहे जो भी हों लेकिन यहां कि चुनावी फाइट काफी करीबी होने वाली है।
बिलासपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अटल श्रीवास्तव को अपना उम्मीदवार बनाया है, 49 सवाल के अटल मूलत: बिलासपुर के ही रहने वाले हैं और सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उन्हें आरटीआई एक्टिविस्ट के तौर पर भी जाना जाता है। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने टिकट के लिए दावेदारी रखी थी। अटल श्रीवास्तव ने अपने 20 साल के राजनीतिक जीवन में कई आंदोलनों में हिस्सा लिया है।
इससे पहले उन्होंने बिलासपुर के नेहरू नगर वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ा था, लेकिन उसमें वे हार गए थे। अटल ने साल 2018 में असपा बचाव पदयात्रा का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा वे राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते हैं। राहुल गांधी की साल 2015 में किसान पद यात्रा और अन्य यात्रा में उन्होंने बतौर इंचार्ज काम किया था।
भाजपा ने संघ की पृष्ठभूमि वाले अरुण साव को बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा आलाकमान के फैसले से साफ है कि 1.76 लाख वोटों से सांसद बने मुंगेली निवासी लखनलाल साहू का टिकट काटते वक्त क्षेत्र और जातीय समीकरण को तवज्जो देते हुए स्वजातीय तथा मुंगेली के ही अरुण साव को प्रत्याशी बनाया। साव पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के समर्थक माने जाते हैं और पिछले महीने भर से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी के संपर्क में थे।
इस लोकसभा सीट पर 2014 में पुरुष मतदाताओं की संख्या 889,222 थी, जिनमें से 573,253 ने वोटिंग में भाग लिया. वहीं पंजीकृत 838,103 महिला वोटर्स में से 517,204 महिला वोटर्स ने भाग लिया था. इस तरह कुल 1,727,325 मतदाताओं में से कुल 1,090,457 ने चुनाव में अपनी हिस्सेदारी तय की. सत्रहवें चुनाव में 1729229 मतदाता अपने क्षेत्र सांसद का चुनाव करेंगे.
बात करें 2014 लोकसभा चुनाव की तो 2014 में भाजपा को मिले वोट यहां कुल 5,61,387 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 3,84,951 वोट प्राप्त हुए थे, दोनों पार्टियों के बीच जीत का अंतर 1,76,436 वोट का था।
जानता की जुबानी, बिलासपुर लोकसभा चुनाव की कहानी!! देखिए आखिर लोगसभा चुनाव को लेकर क्या सोचता है बिलासपुर का आम वोटर, वीडियो को देखें और शेयर भी करें।