इंदौर में तेजी से पैर पसार रहा कुपोषण, सर्वे में 327 बच्चे कुपोषित मिले | Malnutrition spreading fast in Indore

इंदौर में तेजी से पैर पसार रहा कुपोषण, सर्वे में 327 बच्चे कुपोषित मिले

इंदौर में तेजी से पैर पसार रहा कुपोषण, सर्वे में 327 बच्चे कुपोषित मिले

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : August 11, 2017/8:11 am IST

 

एक तरफ शहरों को स्मार्ट सिटी का रूप देने की कोशिश की जा रही है. तो दूसरी ओर सच्चाई ये भी है कि सफाई में देश के नंबर वन शहर इंदौर में कुपोषण भी तेजी से पैर पसार रहा है। ये खुलासा स्वास्थ्य विभाग के हाल ही में हुए सर्वे में हुआ है. जिसमें इंदौर में 327 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं. इनमें 107 गंभीर कुपोषित हैं।

इंदौर जिसे मिनी मुंबई के नाम से जाना जाता है. साफ-सफाई में अव्वल होने का दर्जा.. विदेशी कंपनियों के करोड़ों के निवेश. लेकिन इस बड़े कैनवास में एक तस्वीर चुभ भी रही है. ये सच है कुपोषण का. जी हां, ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में किए गए सर्वे में खुलासा हुआ है कि कई ऐसे बच्चे हैं जिन्हें एक वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही. और इसी के चलते शहर में कुपोषण से ग्रस्त बच्चों की तादाद बढ़ी है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि इन कुपोषित बच्चों का निगरानी में इलाज किया जा रहा है।

दरअसल, इंदौर में स्वास्थ विभाग ने 5 साल तक के 69 हजार 719 बच्चों पर सर्वे किया था. इनमें 327 कुपोषित बच्चों में 107 गंभीर कुपोषित पाए गए. वहीं, नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक साल 2015-16 में मध्य प्रदेश में 5 साल तक के 9.2 फीसदी बच्चे गंभीर कुपोषित पाए गए. वहीं, बीते साल 16 से 30 नवंबर तक प्रदेश में दस्तक अभियान के तहत हुए सर्वे में 22 लाख 48 हजार 649 बच्चों पर किए गए सर्वे में 18 हजार 415 बच्चे गंभीर कुपोषित पाए गए। कुपोषित बच्चों पर सरकार के खर्च की बात करें तो मध्य प्रदेश में पिछले 5 साल में 2 हजार 89 करोड़ खर्च किए गए. 12 सालों में कुल 7 हजार 8 सौ करोड़ रुपए का पोषण आहार बांटा गया.

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में बड़ी संख्या में सामने आए कुपोषण के मामलों से साफ है कि प्रदेश के दूसरे जिलों में क्या हालात होंगे.. दरअसल ये हालात तब हैं जब कुपोषण से निपटने में हर साल सरकार की ओर से करोड़ों की रकम जारी की जाती है. लेकिन सच्चाई यही है कि इसका बड़ा हिस्सा जरूरतमंदों तक पहुंच नहीं रहा

 

 
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