बस्तर दशहरा में शामिल होने आए मुख्यमंत्री ने राजमहल पहुंचकर राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष कमल चंद्र भंजदेव और उनके परिवार से मुलाकात की, इसके बाद मुख्यमंत्री मुरिया दरबार में शामिल हुए, 700 वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार दशहरे के समापन में मुरिया दरबार का आयोजन किया जाता है, जिसमें विभिन्न ग्रामीण अंचल से आए समुदाय प्रमुख मांझी, मुखिया, चालकी, मेंबर, मेंबरिन अपनी बातें शासन के सामने रखते हैं, रियासत काल में राजा यहां जनसुनवाई करता था, सोमवार मुख्यमंत्री ने मुरिया दरबार में स्थानीय लोगों की बातें सुनी।
यहां 75 दिन मनाया जाता है दशहरा लेकिन रावण दहन नहीं होता
दशहरे के संचालन के लिए गठित समिति में 700 सालों से मांझी मुखिया अपनी अपनी जिम्मेदारियां और सहयोग देते रहें हैं, जिससे परंपरा अनुसार आज भी बस्तर दशहरा उन्हीं पुरातन तौर तरीकों से मनाया जाता है, दशहरे के समापन में मुरिया दरबार का आयोजन किया जाता है, जहां खुलकर यह समुदाय प्रमुख अपनी बातें सत्ता के सामने रखते हैं, इस बार भी प्रदेश के मुख्यमंत्री के सामने मांझी और चालकियों ने अपनी मांग रखी, उन्होंने कहा, कि बस्तर में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलना चाहिए, दशहरे के लिए अलग भवन बनाया जाना चाहिए, साथ ही समुदायों के प्रमुखों का मानदेय भी बठाया जाना चाहिए, मुख्यमंत्री ने तुरंत ही इनमें से कुछ मांग को मान लिया। मांझी मुखिया का मानदेय बढ़ाने की घोषणा करने के साथ उन्होंने कहा, कि बस्तर में आने वाले दिनों में और भी विकास कार्य होंगे।
बस्तर दशहरा में आकर्षण का केंद्र है वजनी लकड़ी से बना विशाल रथ
गांव की प्रमुखों से उन्होंने गांव को खुले में शौच मुक्त बनाने और विकास में सहयोग करने की बात कही, साथ ही उन्होंने कहा, कि आने वाले कुछ महीनों में ही बस्तर में रेलवे सुविधाओं में और विस्तार होगा साथ ही एयर कनेक्टिविटी भी बस्तर के लोगों को मिल पाएगी, जिससे बस्तर में और विकास होगा, मुख्यमंत्री ने बस्तर के 7 जिलों को केंद्र से 80 करोड रूपए अतिरिक्त राशि मिलने की बात भी कही, जिससे विकास कार्यों में तेजी आएगी, उन्होंने कहा, कि बस्तर के हर गांव तक सड़क और और घर तक बिजली पहुंचेगी, उन्होंने कहा, कि बस्तर में धीरे-धीरे शांति आ रही है, और जल्द ही पूरी तरह से हर गांव नक्सल मुक्त और शांति का टापू बनेगा। मुरिया दरबार के समापन के साथ बस्तर दशहरे का भी प्रमुख कार्यक्रम समाप्त हो जाता हैं, यह ऐतिहासिक परंपरा बस्तर में वर्षों से जारी है।