छात्रों के लिए 'प्रेशर शीट' है मार्कशीट, इससे न किया जाए मूल्यांकन- प्रधानमंत्री मोदी | Marketsheet is a 'pressure sheet' for students, it should not be evaluated: PM Modi

छात्रों के लिए ‘प्रेशर शीट’ है मार्कशीट, इससे न किया जाए मूल्यांकन- प्रधानमंत्री मोदी

छात्रों के लिए 'प्रेशर शीट' है मार्कशीट, इससे न किया जाए मूल्यांकन- प्रधानमंत्री मोदी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : September 11, 2020/8:10 am IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21वीं सदी में स्कूली शिक्षा के विषय पर देशभर के शिक्षकों को वर्चुअल संबोधित किया। इस दौरान पीएम ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। इसके पीछे पिछले 4-5 वर्षों की कड़ी मेहनत है। उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए मार्कशीट ‘प्रेशर शीट’ और परिवारों के लिए ‘प्रेस्टीज शीट’ बन गई है।

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य इस दबाव को दूर करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल और सभी जिम्मेदार लोगों तक इसे पहुंचाने के लिए ‘शिक्षा पर्व’ का आयोजन किया जा रहा है। यह पर्व आठ से 25 सितंबर तक चलेगा। 2022 में जब आजादी के 75 वर्ष पूरे होंगे तब भारत का हर स्टूडेंट राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा तय किए गए दिशा-निदेर्शों में पढ़े ये हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। मैं सभी शिक्षकों, प्रशासकों, स्वयंसेवी संगठनों और अभिभावकों से आहृवान करता हूं कि वे इस मिशन में अपना सहयोग दें।

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति की इस यात्रा के पथ-प्रदर्शक देश के शिक्षक हैं। चाहे नए तरीके से लर्निंग हो, विद्यार्थी को इस नई यात्रा पर लेकर शिक्षक को ही जाना है। हवाई जहाज कितना ही एडवांस हो, उड़ाता पायलट ही है। इसलिए सभी शिक्षकों को भी कुछ नया सीखना है और कुछ पुराना भूलना भी है: पीएम मोदी पढ़ाई से मिल रहे इस तनाव से अपने बच्चों को बाहर निकालना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है। परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह दबाव न पड़े। कोशिश ये होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से विद्यार्थियों को मूल्यांकन न किया जाए।

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सीख तो बच्चे तब भी रहे होते हैं जब वो खेलते हैं, जब वो परिवार में बात कर रहे होते हैं, जब वो बाहर आपके साथ घूमने जाते हैं। लेकिन अक्सर माता-पिता भी बच्चों से ये नहीं पूछते कि क्या सीखा? वो भी यही पूछते हैं कि मार्क्स कितने आए। हर चीज यहीं आकर अटक जाती है: पीएम मोदी पढ़ाई से मिल रहे इस तनाव से अपने बच्चों को बाहर निकालना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है। परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह दबाव न पड़े। कोशिश ये होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से विद्यार्थियों को मूल्यांकन न किया जाए।

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सीख तो बच्चे तब भी रहे होते हैं जब वो खेलते हैं, जब वो परिवार में बात कर रहे होते हैं, जब वो बाहर आपके साथ घूमने जाते हैं। लेकिन अक्सर माता-पिता भी बच्चों से ये नहीं पूछते कि क्या सीखा? वो भी यही पूछते हैं कि मार्क्स कितने आए। हर चीज यहीं आकर अटक जाती है। कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में देश भर के शिक्षकों से सुझाव मांगे थे। एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं। ये सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद करेंगे।

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। इसके पीछे पिछले 4-5 वर्षों की कड़ी मेहनत है, हर क्षेत्र, हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर दिन रात काम किया है। लेकिन ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है।

 
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