मेघदूत एप से किसानों को मिलेगी मौसम और खेती से संबंधित जानकारी, सूखा, कीट से बचाव के लिए उन्नत बीजों के प्रयोग की सलाह | Meghdoot app will provide farmers with information related to weather and farming

मेघदूत एप से किसानों को मिलेगी मौसम और खेती से संबंधित जानकारी, सूखा, कीट से बचाव के लिए उन्नत बीजों के प्रयोग की सलाह

मेघदूत एप से किसानों को मिलेगी मौसम और खेती से संबंधित जानकारी, सूखा, कीट से बचाव के लिए उन्नत बीजों के प्रयोग की सलाह

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:34 PM IST, Published Date : June 30, 2020/2:41 pm IST

रायपुर: मानसून शुरू होतेे ही खरीफ फसल की बुआई शुरू हो जाती है। कृषि वैज्ञानिकों ने फसल की उत्पादकता बढ़ाने, कीट व बीमारियों से बचाव सहित कृषि के क्षेत्र में उन्नत तकनीक के प्रयोग के बारे में सलाह दी है। खेती-किसानी में तकनीक का बेहतर इस्तेमाल के लिए बनाई गई मेघदूत एप पर मौसम एवं खेती से सम्बधित जानकारी प्राप्त कर भरपूर पैदावार लिया जा सकता है। मेघदूत एप  https://play.google.com/store/apps/details?id=com.aas.meghdoot लिंक पर जाकर डाउनलोड किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में कीट व्याधियों के प्रतिरोध और सहनशील किस्मों की बीज उपलब्ध है। इन पर पौध रोगों एवं कीटों का असर कम होता है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को खेत में मृदा स्वास्थ्य के आधार पर खाद एवं उर्वरक का उचित प्रयोग करने के साथ ही अनावश्यक रासायनिक उर्वरक के प्रयोग न करने की सलाह दी गई है।

Read More: क्ववारंटाइन सेंटर से फरार हुए महिला और पुरुष श्रमिक, जानिए पूरा माजरा…

प्रदेश के कृषि विकास और कृषक कल्याण विभाग के वैज्ञानिकों ने खरीफ मौसम में धान की खेती करने वाले किसानों को विशेष परिस्थितियों के लिए धान की उपयुक्त किस्में लागाने की सलाह दी है। गंगई प्रभावित क्षेत्र के लिए उपयुक्त किस्मे में समलेश्वरी, कर्मा मासुरी, चन्द्रहासिनी, जलदूबी, आई.जी.के.व्ही.आर.-1 (राजेश्वरी), आई.जी.के.व्ही.आर.-2 (दुर्गेश्वरी), आई.जी.के.व्ही.आर.-1244 (महेश्वरी), महामाया, दन्तेश्वरी। ब्लास्ट प्रभावित क्षेत्र में आई.आर.-64, चन्द्रहासिनी, कर्मा मासुरी, आई.जी.के.व्ही.आर.-2 (दुर्गेश्वरी), आई.जी.के.व्ही.आर.-1244 (महेश्वरी)। जीवाणु जनित झुलसा प्रभावित क्षेत्र के लिए बम्लेश्वरी। करगा प्रभावित क्षेत्र हेतु आई.जी.के.व्ही.आर.-1 (राजेश्वरी), महामाया श्यामला। जल भराव की समस्या वाले बहरा क्षेत्र के लिए स्वर्णा सब-1, जलदूबी, बम्लेश्वरी। सूखा प्रभावित क्षेत्र के लिए समलेश्वरी, इंदिरा बारानी धान-1, अन्नदा, पूर्णिमा, दन्तेश्वरी आदि शामिल है। वर्तमान में मौसम की दशा को देखते हुए धान की सीधी बुवाई के लिए उपयुक्त समय बताया गया है। खरपतवारनाशी दवाई का उपयोग करने के बाद कम से कम 3 से 4 घण्टा वर्षा ना हो तभी उसका उपयोग करें।

Read More: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘डॉक्टर्स डे’ और ‘सीए डे’ पर चिकित्सकों और चाटर्ड एकाउंटेट्स को दी शुभकामनाएं, बोले कोरोना संकट में डॉक्टर बने सैनिक