मंत्री नरेंद्र तोमर ने पूछा- MSP आवश्यक था तो 50 वर्षों में कानून क्यों नहीं लाया? बताया कैसे होगा किसानों को फायदा | Modi government explained in easy language how farmers will benefit from agricultural legislation

मंत्री नरेंद्र तोमर ने पूछा- MSP आवश्यक था तो 50 वर्षों में कानून क्यों नहीं लाया? बताया कैसे होगा किसानों को फायदा

मंत्री नरेंद्र तोमर ने पूछा- MSP आवश्यक था तो 50 वर्षों में कानून क्यों नहीं लाया? बताया कैसे होगा किसानों को फायदा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:34 PM IST, Published Date : September 24, 2020/12:52 pm IST

नई दिल्ली: मोदी सरकार के कृषि कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में लगातार विरोध हो रहा है। कई किसान संगठनों ने सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी लगातार देशभर के कांग्रेस नेताओं से चर्चा कर इस कानून के विरोध के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसी बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया है कि कैसे इस कानून से किसानों को फायदा होगा।

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केंद्रीय मंत्री तोमर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 50 वर्षों तक शासन करने वाले लोग पूछ रहे हैं कि हमने खेत के बिलों में एमएसपी का प्रावधान क्यों नहीं किया। यदि एमएसपी के लिए एक कानून आवश्यक था, तो उन्होंने इसे 50 वर्षों में क्यों नहीं लाया? एमएसपी सरकार का एक प्रशासनिक निर्णय है और यह जारी रहेगा।

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नरेंद्र तोमर ने कहा कि मैं देश भर के किसान भाइयों से कहना चाहता हूं कि ये जो कृषि सुधार के विधेयक हैं, ये किसान के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले हैं। इनके माध्यम से किसानों को स्वतंत्रता मिलने वाली है। ये किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने में मददगार होंगे। इन विधेयकों के माध्यम से किसान नई तकनीक से भी जुड़ेगा। इसके कारण किसान अपनी उपज का सही मूल्य बुआई से पूर्व भी प्राप्त कर सकेगा।

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10 बातों में बताया कैसे कृषि कानून किसानों के लिए होगा फायदेमंद

  • केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बताया कि इस कानून से किसान को कोई नुकसान नहीं होगा, चाहे ओले पड़े, प्राकृतिक आपदा आए। उन्होंने कहा कि मान लीजिए किसान और व्यापारी के बीच मौसमी की फसल को लेकर 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से सौदा हुआ है तो ऐसी स्थिति में किसान को व्यापारी से पूरा पैसा मिलेगा।
  • मंत्री ने कहा कि मान लीजिए फसल होने के बाद मौसमी की कीमत 25 रुपये प्रति किलो हो जाती है तो कृषि कानून के मुताबिक करार में इस बात का जिक्र होगा। अगर ऐसा हुआ तो किसान को मौजूद वक्त की कीमत का कितना प्रतिशत दाम मिलेगा इस बात का जिक्र उस करार में होगा।
  • उन्होंने कहा कि यह आरोप लगाया जा रहा है कि इस कृषि कानून से जमीनों पर अडाणी और अंबानी का कब्जा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और कई और राज्यों में व्यापारी ऐसा कर रहे हैं तो क्या कभी इस बात का कोई प्रमाण मिला है क्या? उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। इस कानून में साफ कहा गया है कि किसान की जमीन को लेकर कोई करार नहीं होगा।
  • नरेंद्र तोमर ने कहा कि किसान कभी भी करार छोड़ सकता है लेकिन व्यापारी कभी भी करार छोड़ता है तो उसे किसान को भुगतान करना होगा।
  • उन्होंने कहा कि कभी भी करार को लेकर किसान और व्यापारी के बीच कोई दिक्कत होती है तो हमने इसका निर्णय लेने का अधिकार एसडीएम को दिया है, क्योंकि किसान ज्यादा दूर नहीं जा सकता है।
  • एसडीएम दोनों की रजामंदी से एक सुलाह बोर्ड का गठन करेगा। इस सुलाह बोर्ड में वो लोग शामिल होंगे जिनके नाम किसान और करारकर्ता यानी व्यापारी बताएंगे। अगर यह मामला सुलाह बोर्ड के समक्ष भी नहीं सुलझता तो यह मामला फिर से एसडीएम के पास जाएगा। फिर एसडीएम को 30 दिन के अंदर इसका फैसला करना होगा।
  • मंत्री ने बताया कि एसडीएम के फैसले में मान लो किसान की गलती निकली तो ऐसे में करारकर्ता किसान के विरूद्ध डिग्री करेगा। इसमें किसान से जो पैसे लिए जाएंगे वो जितने पर करार हुआ है उतने ही पैसे दिए लिए जा सकेंगे और कोई ब्याज नहीं वसूला जाएगा। इतना ही नहीं इस रकम को वसूलने के लिए किसान की जमीन नहीं बेची जाएगी।
  • किसान बताएगा कि कब तक वह पैसे देगा। वहीं अगर करारकर्ता की गलती होगी तो उससे औसत रकम (ब्याज समेत) का भुगतान करना होगा और उसपर 150 प्रतिशत तक की पैनल्टी भी लगाई जा सकती है।
  • केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस कानून में पूरी ताकत किसान को दी गई है। इस कानून से किसान और व्यापारी मिलकर काम कर सकेंगे। व्यापारी छोटे-छोटे किसानों को मिलाकर बात करेंगे और एक फसल करने के लिए सहमत करेंगे। इससे किसानों को अच्छे बीज और कम पानी में फसल कर पाएंगे। इतना ही नहीं इससे किसान बिना डर के महंगी फसल उगा सकेंगे। इससे युवा भी कृषि क्षेत्र में आगे आएंगे।
  • एक विषय आता है कि इस बिल में MSP क्यों नहीं है। ये बात ऐसे लोग कह रहे हैं जो देश में 50 साल सत्ता में रहे। MSP के लिए कानून बनाना आवश्यक था तो आपने 50 साल में क्यों नहीं बनाया। MSP भारत सरकार का प्रशासकीय निर्णय है, जो आने वाले कल में भी रहेगा।