सरकार को आर्थिक मोर्चे पर बड़ा झटका ! अनुमानित GDP में हो सकती है भारी गिरावट | Moody’s Investors Service cuts India’s FY20 growth forecast to 5.8%

सरकार को आर्थिक मोर्चे पर बड़ा झटका ! अनुमानित GDP में हो सकती है भारी गिरावट

सरकार को आर्थिक मोर्चे पर बड़ा झटका ! अनुमानित GDP में हो सकती है भारी गिरावट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:44 PM IST, Published Date : October 10, 2019/10:21 am IST

नई दिल्ली | मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान में कमी करते हुए 6.20 से 5.80 का अंदाजा लगाया है।   मूडीज का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नरमी से काफी प्रभावित है और इसके कुछ कारक दीर्घकालिक असर वाले हैं।  पिछले महीने एशियन डेवलपमेंट बैंक और द ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन एंड डेवलपमेंट ने भी 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटा दिया था। पिछले हफ्ते आरबीआई ने भी 6.9% से घटाकर 6.1% कर दिया था।

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अर्थव्यवस्था की सुस्ती को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कहा कि मौजूदा हालात से निपटने के लिए सरकार सेक्टर विशेष से जुड़े समाधान कर रही है।

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मूडीज  ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में नरमी का कारण  निवेश में कमी है, निवेश में कमी होने के कारण रोजगार सृजन के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय संकट भी प्रभावी हो रहा है। मूडीज का कहना है कि अर्थव्यव्था में नरमी अधिकांश कारण घरेलू हैं, जिनके असर दीर्घकालिन हो सकते हैं।

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बता दें कि मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा है कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर बाद में तेज होकर 2020-21 में 6.6 प्रतिशत और मध्यम अवधि में करीब सात प्रतिशत हो जाएगी।  हम अगले दो साल जीडीपी की वास्तविक वृद्धि तथा महंगाई में धीमे सुधार की उम्मीद करते हैं. हमने दोनों के लिये अपना पूर्वानुमान घटा दिया है. दो साल पहले की स्थिति से तुलना करें तो जीडीपी वृद्धि दर आठ प्रतिशत या इससे अधिक बने रहने की उम्मीद कम हो गयी है।

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राजकोषीय घाटा बढ़ा

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मूडीज ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती और कम जीडीपी वृद्धि दर के कारण राजकोषीय घाटा सरकार के लक्ष्य से 0.40 फीसदी अधिक होकर 3.70 फीसदी पर पहुंच जाने की आशंका व्यक्त की। मूडीज ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय मानक के हिसाब से वास्तविक जीडीपी में पांच फीसदी की वृद्धि अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन भारत के संदर्भ में यह कम है। हालिया वर्षों में मुद्रास्फीति में अच्छी खासी गिरावट के कारण सांकेतिक जीडीपी की वृद्धि दर पिछले दशक के करीब 11 फीसदी से गिरकर 2019 की दूसरी तिमाही में करीब आठ फीसदी पर आ गई है। 2012 के बाद से निजी निवेश अपेक्षाकृत नरम रहा है लेकिन जीडीपी में करीब 55 फीसदी योगदान देने वाला उपभोग शानदार रहा है।

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