खंडवा। एक मासूम का अनायास ही दुनियां छोड़ जाने का गम क्या होता है यह एक माँ से बेहतर शायद ही किसी ने महसूस किया होगा। खंडवा में भी तीन दिन पूर्व भी ऐसा ही हुआ. जहां सड़क हादसे में अपनी बेटी को खोने के बावजूद अपनी बेटी की आखिरी तमन्ना पूरी करने बच्ची के परिजन स्कूल पहुंचे। सड़क हादसे का शिकार हुई उम्मे एमीन ने स्कूल में फर्स्ट आई थी। उसकी इच्छा थी कि यदि वह फर्स्ट आी तो सबको चॉकेलेट खिलाएगी। मृत बच्ची की अधूरी हसरतों को पूरा करने के लिए गमगीन परिवार ने बच्ची की स्कूल में जाकर उसके दोस्तों को चॉकलेट और टॉफियाँ बांटी।
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दरअसल उम्मे अपनी अर्धवार्षिक परीक्षा में पूरे क्लास में प्रथम आई थी लिहाजा हादसे वाले दिन 11 अक्टूबर शुक्रवार को उम्मे एमीन ने अपनी मां से क्लास में बच्चों को टॉफी बांटने के लिए की मांग कर रही थी। लेकिन जल्दी-जल्दी स्कूल भेजने के चक्कर में उसकी मां ने टॉफी देने से इंकार कर दिया था। जिस कारण उम्मे अपनी मां को बिना बाय किए नाराज होकर स्कूल चली गई थी। उम्मे के पिता कुतुबुद्दीन भी देश से बाहर दुबई गए हुए थे। घर से ऑटो जाने के कुछ देर बाद ही जब उम्मे के इस दुनिया से चले जाने की खबर आई तब मानो पूरे परिवार के सिर पर आसमान टूट गया हो। अपनी बच्ची की इस आखिरी सपने को पूरा नहीं कर पाने का पहाड़ जैसे दुःख को कम करने के लिए उम्मे की छोटी बहन के हाथ से उसके दोस्तों को चॉकलेट बांटे गए।
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बता दें कि तीन दिन पूर्व खंडवा में हुए एक भयानक सड़क हादसे में एक ट्राले ने स्कूली बच्चों से भरी एक ऑटो को टक्कर मार दी थी । दुर्घटना में एक सात साल की बच्ची उम्मे एमीन की मौके पर ही मौत हो गई थी। घटना में बच्ची का शव इस कदर क्षत-विक्षत हो गया था जिसमें उसके लाश को सड़कों पर खुरेद-खुरेद कर समेटना पड़ा था। तीसरी कक्षा में पढने वाली उम्मे क्लास में जहां बैठती थी वो सीट भी उम्मे के लिए रिक्त रखी गई थी। उम्मे की बनाई पेंटिंग भी क्लास की दीवारों पर टंगी हुई हैं। ये पेंटिग क्लास में उम्मे की उपस्थिति का एहसास दिला रही थी। विद्याकुंज स्कूल प्रबंधन ने भी बच्ची की याद में स्कूल में प्रार्थना सभा आयोजित की। सभी बच्चों ने अपनी सहपाठी की आत्मा की शांति के लिए मौन भी धारण किया।