रायपुरः यूं तो राजधानी पुलिस हमेशा से ही अपराधों पर नियंत्रण का दावा करती आई है, लेकिन नए साल के आगाज के साथ राजधानी में कई बड़े अपराध की घटनाओं ने इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ताबड़तोड़ चाकूबाजी की घटनाओं समेत मर्डर और लूट की घटनाओं से ऐसा लगने लगा है कि रायपुर प्रदेश की राजधानी नहीं, बल्कि अपराध का गढ़ हो। यानी राजधानी में हर रोज जुर्म की नई कहानी पर सियासी बयानबाजी भी हो रही है। बहरहाल लॉ एंड ऑर्डर पर कहां हो रही है चूक?
केस 1
18 जनवरी
रायपुर का सेरीखेड़ी इलाका
महिला की गला रेतकर, चेहरा कुचलकर हत्या
केस 2
18 जनवरी
रायपुर का खमतराई इलाका
लोहे की नुकीली रॉड से युवक की हत्या
केस 3
17 जनवरी
डंगनिया तालाब के पास चाकूबाजी़
फरार आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज
केस 4
16 जनवरी
रायपुर के फाफाडीह इलाके में बड़ी लूट
बदमाशों ने स्टील प्लांट के कैशियर से लूटे 30 लाख
केस 5
11 जनवरी
मकान मालिक ने की किरायेदार की हत्या
आजाद चौक थाना इलाके का मामला
राजधानी रायपुर में अब अपराधियो को पुलिस का खौफ नहीं रहा। ये हम नहीं बल्कि आंकड़े बयां कर रहे हैं। ये वो चंद घटनाएं हैं, जो अब राजधानी में रहने वाले हर आम से खास लोगों को डराने लगी है और शायद यही वजह है कि राजधानी रायपुर को क्राइम कैपिटल भी कहा जाने लगा है। दरअसल, नए साल की शुरुआत की साथ ही कई बड़ी अपराध की घटनाओं ने राजधानी पुलिस की तैयारी और दावों पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। इन घटनाओं ने भले ही राजधानी वासियों के होश उड़ा दिए हों, लेकिन राजधानी पुलिस अब भी बेहतर पुलिसिंग और अपराध नियंत्रण का दावा कर रही है।
राजधानी में अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते दो महीनों में ही लूट के करीब 22 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से एक बड़ी घटना बीते शनिवार को घटी, रायपुर के उरला इलाके में मां कुदरगढ़ी फैक्ट्री के मैनेजर से दिन दहाड़े 31 लाख रुपये लूट लिए गए। यही नहीं राजधानी में हर दिन राह चलते लोगों से मारपीट कर मोबाइल फोन या पैसे लूट लेने की घटनाएं होती हैं। बहुत सारे मामले तो थानों में दर्ज ही नहीं हो पाते हैं, लेकिन इसी महीने हर दिन औसतन तीन से चार मामले दर्ज हुए हैं। वहीं चाकूबाजी, मारपीट और गाली गलौच करने की घटनाएं भी बड़ी तादाद में होती हैं। हर तीन दिन में बलात्कार के दो मामले दर्ज होते हैं। कुल मिलाकर रायपुर में अपराध का ग्राफ अब लोगों को डराने लगा है। हालांकि राजधानी पुलिस पिछले वर्षों के आंकड़ों के आधार पर अपराध के कम होने का दावा करती है।
हालांकि IBC24 की नशे के खिलाफ चलाए जा रहे मुहिम के बाद नशे के कारोबार के खिलाफ पुलिस ने बेहतर काम किया, लेकिन कुछ ऐसे मामले हैं जिसपर पुलिस का रवैया सवालों में जरूर आता है। जैसे लॉकडाउन में होटल क्वींस क्लब में शराब पार्टी और गोलीकांड में अबतक क्लब के डायरेक्टर नमित जैन को पूछताछ के लिए तक नहीं बुला पाई है। दूसरी तरफ स्टील प्लांट को करोड़ों का चूना लगाने वाले कोयला चोर प्रीतम सिंह रंधावा उर्फ प्रीतम सरदार और सरफराज खान उर्फ बाबू खान पुलिस पकड़ से दूर है, वो जमानत लेकर खुलेआम घूम रहे हैं। वहीं राजधानी से सटे खुड़मुड़ा इलाके में एक ही परिवार के 4 लोगों की मर्डर का खुलासा भी नहीं कर पाई है पुलिस। बहरहाल रायपुर में बढ़ते अपराध को लेकर आरोप-प्रत्यारोप की सियासत तेज हो गई है। कुल मिलाकर तर्क और दावे अपनी जगह है..पर बड़ा सवाल वहीं का वहीं है कि अगर पुलिसिंग में कसावट है तो हाईप्रोफाइल मामलों के आरोपी पकड़ से दूर क्यों हैं.? आदतन अपराधियों को तो छोड़िए…कम उम्र के अपराधियों तक में पुलिस कार्रवाई का खौफ क्यों नहीं है?
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