पिता कमलनाथ की राह पर चले नकुल, सक्रिय हुए राजनीति में, देखिए रिपोर्ट | Nakul Nath on the path of father Kamal Nath active in politics, see report

पिता कमलनाथ की राह पर चले नकुल, सक्रिय हुए राजनीति में, देखिए रिपोर्ट

पिता कमलनाथ की राह पर चले नकुल, सक्रिय हुए राजनीति में, देखिए रिपोर्ट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : February 14, 2019/4:21 pm IST

छिंदवाड़ा। बीते 4 दशकों से छिंदवाड़ा और कमलनाथ एक-दूसरे की पहचान बने हुए हैं। लेकिन सवाल है कि क्या, नकुल छिंदवाड़ा के नए नाथ बन पाएंगे। हालांकि नकुलनाथ अपने पिता कमलनाथ के लोकसभा चुनावों में प्रचार की कमान संभालते आए थे लेकिन उनकी छवि सक्रिय राजनेता के तौर पर नहीं बनी थी। इस बीच मंचों से नकुलनाथ को छिंदवाड़ा का भावी सांसद कहकर पुकारा जाने लगा और अचानक इस जिले का सियासी माहौल बदलने लगा।

बीते करीब 4 दशकों से छिंदवाड़ा की पहचान कमलनाथ से होती आई है। छिंदवाड़ा से 9 बार से सांसद कमलनाथ जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो इस रिश्ते के टूटने की बातें की जाने लगीं और विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा की सातों सीट हारने वाली बीजेपी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के इस किले में सेंध लगाने की रणनीति बनाने लगी। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सियासी गलियारों में सवाल था कि आखिर कांग्रेस का ये गढ़ कौन बचाएगा।

इसी बीच सियासत के इस शतरंज में छिंदवाड़ा जिला कांग्रेस कमेटी ने बड़ा दांव चला। कमेटी ने पार्टी आलाकमान को एक पत्र भेज कर नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से लोकसभा का टिकट देने की मांग कर दी। बीते दस फरवरी को जब कमलनाथ छिंदवाड़ा आए तो हवाई पट्टी से लेकर हर कार्यक्रम में नकुलनाथ उनके साथ खड़े नज़र आए। छिंदवाड़ा में बन रहे मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण से लेकर राजा भोज की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम तक नकुलनाथ सीएम कमलनाथ के साथ नज़र आए। इतना ही नहीं क्षत्रिय पवार समाज के कार्यक्रम में मंच पर एक कुर्सी कमलनाथ तो दूसरी कुर्सी छिंदवाड़ा के दूसरे नाथ, नकुलनाथ के लिए थी।

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अब तक सिर्फ अपने पिता कमलनाथ के चुनाव प्रचार की कमान संभालने वाले नकुलनाथ इस कार्यक्रम में सीएम कमलनाथ के बगल में बैठे नज़र आए और सामने मौजूद कार्यकर्ताओं और जनता के बीच से कमलनाथ के साथ नकुलनाथ ज़िंदाबाद के भी नारे लगने लगे। मंच से छिंदवाड़ा विधायक दीपक सक्सेना ने नकुलनाथ को छिंदवाड़ा का भावी सांसद संबोधित कर पार्टी की योजना साफ कर दी। इस दौरान पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सैय्यद जाफर ने साफ किया कि छिंदवाड़ा  से कमलनाथ के बाद उनके बेटे नकुलनाथ को चुनाव लड़वाए जाने की योजना को वंशवाद से जोड़कर ना देखा जाए। उनके मुताबिक एक युवा नेता के रुप में नकुलनाथ का क्षेत्र की जनता से पारिवारिक रिश्ता रहा है और अब पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी मानकर उनकी चुनावी तैयारियां भी शुरु कर दी हैं।

कहते हैं कि सियासत में हर बात कही नहीं जाती। मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से टिकट दिए जाने की मांग का फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ते हुए इस कार्यक्रम में नकुलनाथ को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन पार्टी के भीतर से उठी मांग, कार्यकर्ताओं का जोश और उस पर नकुलनाथ की प्रतिक्रिया भी देखने लायक थी। कहते हैं कि सियासत में कोई मौका छोड़ा नहीं जाता, नकुलनाथ ने भी खुद को लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने की मांग को हाथों हाथ लिया और छिंदवाड़ा में कांग्रस की यूथ विंग के साथ बैठकों का सिलसिला शुरु कर दिया। नकुलनाथ ने भी अपने पिता कमलनाथ की तरह अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत से लिए सौंसर को चुना

नकुलनाथ ने साफ कर दिया कि वो छिंदवाड़ा की संसदीय कमान संभालने के लिए तैयार हैं। 10 फरवरी को छिंदवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम के मंच से हुई इस मांग के बाद इसी शाम नकुलनाथ ने पार्टी की यूथ विंग के साथ लंबी बैठकें कीं। नकुलनाथ ने एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के पदाधिकारियों से मुलाकात की और अपने चुनावी दौरों की भी शुरुआत कर दी। छिंदवाड़ा की राजनीति में युवा नेता के तौर पर उभरे नकुलनाथ, जहां-जहां अपने चुनावी जनसंपर्क अभियान में जा रहे हैं। उनका भव्य स्वागत हो रहा है। हालांकि चुनाव प्रचार प्रत्याशी तय होने के बाद ही शुरु होता है लेकिन कांग्रेस और नकुलनाथ इसमें देर नहीं करना चाहते।

कल तक सक्रिय राजीति से दूर रहने वाले नकुलनाथ अब अपनी तेजी से सबको चौंका रहे हैं, अपने पिता कमलनाथ की राह पर आगे बढ़ते हुए एक तरह से लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। शुरुआत अपने पिता कमलनाथ की तरह नकुलनाथ, सौंसर से ही कर रहे हैं जहां से अस्सी के दशक में कमलनाथ ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत की थी। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी छिंदवाड़ा में बीजेपी से दो कदम आगे चलती नजर आ रही है। तैयारियां बीजेपी की भी होंगी लेकिन कांग्रेस पार्टी की जो तैयारियां नजर आती है कि जैसे कल-परसों ही चुनाव होने जा रहा हो। नकुलनाथ के चेहरे को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार आगे बढ़ रही है।

भले चुनाव तारीखों का ऐलान ना हुआ हो, लेकिन छिंदवाड़ा में लोकसभा चुनाव का प्रचार एक तरह से उफान पर है, और देखा जा सकता है कि नकुलनाथ को लेकर कार्यकर्तोंओं में किस तरह का जोश है, वो ये बताता है कि नकुलनाथ कमलनाथ की राह पर आगे बढ़ रहे हैं और अगर पार्टी उनको प्रत्याशी बनाती है तो ये चुनाव वाकई दिलचस्प हो सकता है। कल तक पर्दे के पीछे रहकर कमलनाथ का चुनावी प्रबंधन देखने वाले नकुलनाथ अब पर्दे के सामने हैं तो उनकी तेजी देखकर युवाओं में उत्साह है और विरोधी भी हैरान हैं।  ख़ैर, कसौटियां और भी हैं जिनपर नकुलनाथ को परखा जाना बाकी है।

दरअसल आज जब पूरा देश छिंदवाड़ा की तरफ देख रहा है तो ये जानना जरुरी है कि क्या नकुलनाथ छिंदवाड़ा में कांग्रेस का गढ़ बचा पाएंगे या नहीं, बात कांग्रेस के कार्यक्रमों की शुरुआत वंदे मातरम के गायन से हो या कार्यकर्ताओं के साथ बेफिक्र सेल्फी के दौर की। नकुलनाथ में ऐसी कुछ खूबियां भी हैं जो युवाओं को तेजी से उनके साथ जोड़ रही है। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी जिस कांग्रेस पर वंदे मातरम पर प्रतिबंध लगाने की कोशिशों के आरोप लगाती है उसी वंदे मातरम से, छिंदवाड़ा में नकुलनाथ के कार्यक्रमों की शुरुआत होती है। नकुलनाथ के कार्यक्रमों में भारत माता की जय के नारे लगते हैं और सबको साथ लेकर सबके विकास की बात होती है। अब तक सक्रिय राजनीति से दूर रहने वाले नकुलनाथ ने अपने चुनावी दौरों की शुरुआत में ही जनता और कार्यकर्ताओं में बीच अपनी छवि, सादगी पसंद सुलझे हुए लेकिन ऊर्जावान युवा नेता की बना ली है।

क्षेत्र का दौरा करते हुए नकुलनाथ मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं। लोगों के साथ पैदल चलना पसंद करते हैं। लोगों से आगे बढ़कर हाथ मिलाते हैं और युवाओं को अपने साथ सेल्फी लेने की छूट देते हैं। युवाओं से घुलते-मिलते, हंसते-मुस्कुराते नकुलनाथ, उन्हें अपने साथ जोड़ते जा रहे हैं और उनके हर चुनावी दौरे में उनके साथ जुटता युवाओं का ये कारवां बढ़ता जा रहा है।

कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाने वाले कमलनाथ ने बीते 4 दशकों में छिंदवाड़ा में पार्टी संगठन को खासा मजबूत किया है और अब यही संगठन नकुलनाथ को रिकॉर्ड मतों से जिताने के दावे कर रहा है लेकिन सामने चेहरा नकुलनाथ का है। छिंदवाड़ा में कमलनाथ की कामयाबी का राज़ उनका बनाया पार्टी संगठन भी है। छिंदवाड़ा में बूथ से लेकर गांव और शहर के हर घर तक पहुंचे पार्टी संगठन की मिसाल पूरे देश में दी जाती है। इसी संगठन ने अब कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों को नकुलनाथ को ढाई लाख से ज्यादा मतों से जीत दिलाने का लक्ष्य रखा है।

नकुलनाथ के हर चुनावी कार्यक्रम में उनके साथ चल रहे, छिंदवाड़ा जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मंच से कार्यकर्ताओं को जोश में होश ना खोने की नसीहत देते हैं। बूथ को ही मजबूत करने की हिदायत देने वाले जिला अध्यक्ष कहते हैं कि ढाई लाख वोटों का ये लक्ष्य कार्यकर्ताओं के बीच से ही आया है और अब कमलनाथ की जीत का भी रिकॉर्ड टूटना तय है। छिंदवाड़ा में कांग्रेस का संगठन तो ज़ोर लगा ही रहा है लेकिन प्रभाव नकुलनाथ के चेहरे का भी है। कार्यकर्ता और आम लोग भी मानते हैं कि नकुलनाथ की खूबियां उन्हें छिंदवाड़ा में बड़ी जीत दिलाएंगी।

जिस तरह प्रियंका गांधी में लोग इंदिरा गांधी की छवि देखकर उनसे उम्मीदें लगा रहे हैं ठीक उसी तरह छिंदवाड़ा में लोग नकुलनाथ में कमलनाथ का अक्स देखते हैं। लोगों से मिलने-जुलने, बातचीत करने के तौर-तरीकों से लेकर नकुलनाथ के कई अंदाज़ अपने पिता कमलनाथ जैसे ही हैं। शायद यही वो समानता है जिसके चलते नकुलनाथ के पीछे बड़ी फैन फॉलोइंग खडी नज़र आती है।

वही आवाज़, वही सोच, वही जज्बा, वही जोश और लोगों से मिलने का वही तरीका। सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ के कई गुण अपने पिता से मिलते हैं। छिंदवाड़ा में रहते हुए कमलनाथ अपने शिकारपुर स्थित बंगले में क्षेत्र की जनता से ज़रुर मिलते हैं। छिंदवाड़ा में कमलनाथ की गैरमौजूदगी में जब रोज़ाना यही काम नकुलनाथ कर रहे हैं हैं तो लोगों को उनमें कमलनाथ की छवि दिख रही है। चुनावी कार्यक्रमों में नकुलनाथ को करीब से देख सुन रहे कार्यकर्ता कहते हैं कि ना सिर्फ नकुलनाथ अपने पिता जैसे हैं बल्कि उनमें कमलनाथ से बढ़कर भी कुछ खूबियां हैं जो उन्हें चुनाव में जनता के प्यार से नवाज़ देंगी। क्या युवा, क्या बुजुर्ग, क्या महिला, सभी कार्यकर्ताओं में बतौर प्रत्याशी नकुलनाथ को लेकर ख़ासा उत्साह दिख रहा है जो कमलनाथ और नकुलनाथ की समानता गिनाते नहीं थकते।

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हालांकि नकुलनाथ को अभी लोकसभा प्रत्याशी बनाया जाना बाकी है। लेकिन इससे पहले छिंदवाड़ा के मौसम में नकुलनाथ की पॉलिटिकल एंट्री आने वाले कल को और दिलचस्प बना रही है। बीते विधानसभा चुनावों में छिंदवाड़ा जिले की सभी सातों सीटों पर हारने वाली बीजेपी अब लोकसभा चुनाव में कुछ कर दिखाना चाहती है। राजनैतिक रणनीतियों की इस लड़ाई में कांग्रेस ने नकुलनाथ की पेशकश तुरुप के इक्के की तरह की है। हालांकि देखना होगा कि नकुलनाथ युवा नेता की छवि से आगे बढ़कर अपने पिता की सूझ बूझ वाली सियासत किस तरह आगे बढ़ाते हैं। देखना ये भी दिलचस्प होगा कि क्या छिंदवाड़ा की ये सड़क, नकुलनाथ को दिल्ली तक पहुंचाती है या नहीं।