नरक चौदस पर करें ये काम, कभी नहीं होगी आर्थिक तंगी, संपूर्ण पूजन विधि .. देखिए | narak chaudas worship in dipawali

नरक चौदस पर करें ये काम, कभी नहीं होगी आर्थिक तंगी, संपूर्ण पूजन विधि .. देखिए

नरक चौदस पर करें ये काम, कभी नहीं होगी आर्थिक तंगी, संपूर्ण पूजन विधि .. देखिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : October 26, 2019/2:58 am IST

रायपुर। दीपावली के एक दिन पहले छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी का त्‍योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्‍ण ने नरकासुर के अत्‍याचार से तीनों जगत को मुक्ति दिलाई थी। इस साल नरक चौदस 26 अक्‍टूबर को यानी आज है। इस दिन दक्षिण दिशा की ओर मुख करके एक दीपक जलाने की परंपरा है। मान्‍यता है कि ऐसा करने से यमराज प्रसन्‍न होते हैं और लोगों को अकाल मृत्‍यु के भय से छुटकारा मिलता है। वहीं दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से पितृगण भी प्रसन्‍न होते हैं। माना जाता है कि पितृ पक्ष में धरती पर आए पितृ गण इस वक्‍त परलोक लौट रहे होते हैं और दीपक जलाने से उनका मार्ग रोशन होता है, इससे प्रसन्‍न होकर वे अपनी संतान को सुखी और खुशहाल रहने का आशीर्वाद देते हैं। 

नरकासुर वध

प्राचीन काल में नरकासुर राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवता और साधु संतों को परेशान करने के साथ ही देवता और संतों की 16 हज़ार स्त्रियों को बंधक बना लिया। नरकासुर के अत्याचारों से परेशान देवता और साधु-संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए। नरकासुर को स्त्री के हाथों से मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और उसकी कैद से 16 हजार स्त्रियों को आजाद कराया। बाद में ये सभी भगवान श्री कृष्ण की 16 हजार पट रानियां के तौर पर जानी जाने लगीं।

नरक चतुर्दशी तिथि एवं मुहूर्त

नरक चतुर्दशी 2019 :  26 अक्टूबर 2019 

अभ्यंग स्नान समय : 04.29  बजे से 06.05 बजे तक 

अवधि : 1 घंटे 37 मिनट

नरक चतुर्दशी के नियम

  • कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन चंद्रोदय या सूर्योदय (सूर्योदय से सामान्यत: 1 घंटे 36 मिनट पहले का समय) होने पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है
  • यदि दोनों दिन चतुर्दशी तिथि सूर्योदय अथवा चंद्रोदय का स्पर्श करती है तो नरक चतुर्दशी पहले दिन मनाने का विधान है।
  • नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले चंद्रोदय या फिर अरुणोदय होने पर तेल अभ्यंग ( मालिश) और यम तर्पण करने की परंपरा है

नरक चतुर्दशी पूजन विधि

  • नरक चतुर्दशी के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले स्नान करने का महत्व है। इस दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए, उसके बाद अपामार्ग यानि चिरचिरा (औधषीय पौधा) को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाना चाहिए।
  • नरक चतुर्दशी से पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष की अहोई अष्टमी के दिन एक लोटे में पानी भरकर रखा जाता है, जिसे नरक चतुर्दशी के दिन नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है।
  • स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करने पर मनुष्य द्वारा वर्ष भर किए गए पापों का नाश हो जाता है।
  • घर के मुख्य द्वार से बाहर यमराज के लिए तेल का दीपक जलाएं।
  • नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय सभी देवताओं की पूजन के बाद तेल के दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों ओर, घर के बाहर व कार्य स्थल के प्रवेश द्वार पर रख दें। मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी सदैव घर में निवास करती हैं।
  • रूप चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन निशीथ काल (अर्धरात्रि का समय) में घर के बेकार सामान फेंक देना चाहिए। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के अगले दिन दीपावली को लक्ष्मी जी घर में प्रवेश करती है, इसलिए दरिद्रता यानि गंदगी को घर से निकाल देना चाहिए।

 

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