राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आदिवासी इलाकों में 100 रुपए के राशन के लिए 110 किलोमीटर लंबी दूरी तय करने पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. आयोग ने अपनी नोटिस में सूबे के दंतेवाड़ा इलाक़े के..बैरकलेड गाँव का ज़िक्र किया है..और बताया है कि..इस गाँव के ग्रामीण..110 किलोमीटर का..जटिल पहाड़ी सफ़र तय करते हैं..ताकि अपने अपने हिस्से का..35 किलो चावल..2 किलोग्राम चीनी..2 लीटर कैरोसिन..और कुछ पैकेट नमक ले सकें.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कहना है कि..यह वो इलाक़े है जहाँ..दुर्गम रास्ते तो हैं ही..नक्सली ख़तरा भी है.आयोग ने कहा है कि राज्य में और भी ऐसे इलाक़े है..जहाँ ग्रामीण लंबा सफ़र तय करते हैं..केवल इसलिए ताकि उन्हे राशन मिल सके. आयोग ने टिप्पणी की है की ऐसे मामले ग्रामीणों के मानवाधिकार उल्लंघन के बराबर है यह राज्य का कर्तव्य है कि..वह नागरिकों के जीवन और भोजन के अधिकार को सुनिश्चित करे.वही आयोग की नोटिस पर खाद्य विभाग के अफसरों का कहना है, धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में कुछ दिक्कतें हैं.एक तो राशन दुकानदार दुकान खोलने के लिए राजी नहीं होते, दूसरा माओवादी दुकानें लूट लेते हैं. फिर भी विभाग की जानकारी में ऐसा नहीं है कि लोगों को 110 किलोमीटर दूर चलकर राशन लेने जाना पड़ रहा हो।.
एनएचआरसी ने नोटिस में समाचार पत्रों की रिपोर्ट का हवाला दिया है. आयोग ने छत्तीसगढ के मुख्य सचिव से पूरे मामले में चार हफ़्ते के भीतर जवाब तलब किया है.दरअसल, बस्तर में कई ऐसे इलाके हैं, जहां रास्ता न होने के कारण लंबा चक्कर लगाकर गंतव्य तक जाना पड़ता है. नक्सलियों ने उन इलाकों में सड़क नेटवर्क को बुरी तरह तबाह कर दिया है या फिर बारुदी सुरंग बिछा डाला है. सुकमा जिले के कई ऐसे गांव हैं, जहां आंध्रप्रदेश होकर जाना पड़ता है।
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