नक्सली मददगार होने का आरोप, 2011 से लंबित मामले में आज हो सकती है सुनवाई.. देखिए | bilaspur naxal news, Naxalites accused of being helpful, case pending since 2011 may be heard today

नक्सली मददगार होने का आरोप, 2011 से लंबित मामले में आज हो सकती है सुनवाई.. देखिए

नक्सली मददगार होने का आरोप, 2011 से लंबित मामले में आज हो सकती है सुनवाई.. देखिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : September 5, 2019/3:43 am IST

बिलासपुर। माओवादियों की मदद करने के आरोप में छत्तीसगढ़ विशेष सुरक्षा अधिनियम और विधि विरुद्ध गतिविधियों के मामले में आरोपी बनाए गए विनायक सेन पीयूष गुहा और नारायण सान्याल की 2011 से लंबित मामले में गुरूवार को हाईकोर्ट में सुनवाई संभावित है। इस मामले को हाईकोर्ट की वीकली कॉज लिस्ट में सुनवाई के लिए चयनित किया गया है।

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रायपुर की कोर्ट ने इस मामले में विनायक सेन, नारायण सान्याल और पीयूष गुहा को राजद्रोह और षणयंत्र के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ अपील करते हुए 16 अगस्त 2011 को मामला हाईकोर्ट में आया, लेकिन पैरवी के लिए किसी अधिवक्ता के नहीं आने की वजह से डबल बेंच ने अगली सुनवाई पर अधिवक्ता की उपस्थिति को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।1

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इस दौरान 2011 में ही विनायक सेन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी और नारायण सान्याल की मृत्यु हो गई है। पीयूष गुहा को रायपुर पुलिस ने नक्सली साहित्य, माओवादियों की चिट्ठी और 49 हजार नगद के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि पीयूष गुहा को ये चिट्ठियां नारायण सान्याल और विनायक सेन ने दिया था जिसे माओवादियों तक पहुंचाना था। पुलिस ने 2007 में बिलासपुर से विनायक सेन को नक्सलियों के लिए कूरियर का काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

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