दंतेवाड़ा। दक्षिण बस्तर में नक्सलियों ने इन दिनों पुलिस और प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल बीते कुछ महीनों से पुलिस-नक्सली मुठभेड़ या फिर गिरफ्तारी के दौरान नाबालिग भी उनके साथ होते हैं। इनमें से अधिकांश नाबालिग स्कूल-आश्रम के छात्र होते हैं। नक्सली लगातार बच्चों को संगठन से जोड़ रहे हैं या फिर यूं कहें कि नक्सली अपनी भावी पीढ़ी तैयार कर रहे हैं।
दंतेवाडा में इन दिनों स्कूली छात्रों ने पुलिस को परेशानी में डाल दिया है। नक्सली अपने संगठन को बढाने और मजबूत करने के लिए नाबालिग छात्रों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन बच्चों का ब्रेनवाश कर नक्सली उन्हें अपनी विचारधारा से प्रभावित कर रहे हैं। बीते तीन महीनों में पुलिस ने दस से ज्यादा नाबालिगों को एनकाउंटर के दौरान और नक्सलियों की मदद करते पकड़ा है। नाबालिग होने की वजह से इन्हे बाल सुधार गृह भेज दिया जाता है।
पुलिस के मुताबिक चिकपाल गांव से चार नाबालिग, भांसी से एक, कुआकोण्डा से एक, बारसूर से दो और गीदम से एक नाबालिग को एनकाउंटर के दौरान पकड़ा गया है। नक्सली इन नाबालिगों को न केवल अपनी विचारधारा से जोड़ रहे हैं, बल्कि उन्हें आईईडी बनाने, प्लांट करने और पुलिस पर हमला करने के तरीके भी सिखा रहे हैं। ऐसे बच्चों की लगातार गिरफ्तारी ने पुलिस को परेशानी में डाल दिया है।
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इधर बच्चों को नक्सलवाद से प्रभावित होता देख अब पुलिस जिला प्रशासन के साथ मिलकर एक मुहिम चलाने वाली है। जिले के विभिन्न स्कूल आश्रमों में जाकर काउंसलिंग की जाएगी। उन्हें ये समझाइश दी जायेगी कि नक्सलवाद से किस तरह के नुकसान हैं।, साथ ही बच्चों के मोबाईल फोन इस्तेमाल पर भी पुलिस और प्रशासन नजर रखेगी। पुलिस नक्सली मुठभेड के दौरान बच्चों की उपस्थित वाकई चिंता का विषय है। बच्चों को नक्सलवाद से दूर करने पुलिस और प्रशासन के प्रयास कितने कारगर साबित होते है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।