नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में मिली प्रचंड जीत के बाद एनडीए ने शनिवार को संसदीय दल की बैठक बुलाई है। बैठक में सभी नवनिर्वाचित सांसद मौजूद हैं। बैठक के दौरान सभी नवनिर्वाचित सांसदों ने हाथ उठाकर नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना है। यानि नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होंगे। संसदीय दल की बैठक के बाद एनडीए की बैठक होगी। इस बैठक में उद्धव ठाकरे, रामविलास पासवान समेत सभी एनडीए नेता मौजूद हैं।बताया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी बैठक के बाद शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात भी करेंगे।
Shri @narendramodi elected as the leader of the NDA. pic.twitter.com/lLsMJKvHKy
— BJP (@BJP4India) May 25, 2019
बैठक में आए सभी लोगों को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संबोधित करते हुए कहा कि ये प्रचंड जनादेश जो हमें मिला है वो ऐतिहासिक जनादेश है। भाजपा के 303 सांसद चुनकर आना और एनडीए के 353 सांसद चुनकर आना जनता का अपार समर्थन है। चुनाव अभियान के समय कई सवाल उठाए जाते थे, लेकिन हमारे सभी साथियों को विश्वास था कि हम 50 प्रतिशत की लड़ाई लड़ेंगे और एनडीए को मोदी जी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत प्राप्त होगा। जिस प्रकार से मोदी जी ने पांच साल शासन चलाया उसको देश की जनता ने स्वीकारा है। वो बताता है कि देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी एक्सपेरिमेंट को मन से फिर एक बार स्वीकारा है। 60 के दशक के बाद इस देश के लोकतंत्र को परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण इन तीन नासूरों ने डसा हुआ था। हर जनादेश कहीं न कहीं परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण की राजनीति से ग्रसित था।2019 के जनादेश ने परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण को राजनीति से बाहर निकाल दिया है। श्मीर से कन्याकुमारी और कामाख्या से कच्छ तक जनता ने मोदी जी के समर्थन में मतदान किया है। चुनाव प्रक्रिया के समय देश में हर जगह मोदी जी की सुनामी दिखाई देती थी, इस सुनामी ने विपक्षी पार्टियों को ध्वस्त कर दिया है।
इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं हृदय से आप सबका आभार व्यक्त करता हूं। भाजपा ने संसदीय दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से मुझे चुना और एनडीए के सभी सदस्यों ने मुझे समर्थन दिया। इसके लिए मैं आप सभी का आभारी हूं। नई सराकार को नए भारत का संकल्प लेकर एक नई उर्जा के साथ आगे बढ़ना है। लोकसभा चुनाव भारत में अपने-आप में एक उत्सव था। मतदान भी अनेक रंगों से भरा हुआ था, लेकिन विजयोत्सव उससे भी शानदार था।
प्रचंड जनादेश जिम्मेदारियों को भी बहुत बढ़ा देता है। जिम्मेदारियों को हम सहर्ष स्वीकार करने के लिए निकले हुए लोग हैं। भारत का लोकतंत्र, भारत का मतदाता, भारत का नागरिक उसका जो नीर-क्षीर विवेक है, शायद किसी मापदंड से उसे मापा नहीं जा सकता है। सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं करता है। सत्ता-भाव न भारत का मतदाता स्वीकार करता है, न पचा पाता है।
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