अफसरों की लापरवाही: ज़िंदगीभर मूक-बधिर रहने का अभिशाप झेलेंगे 27 बच्चे | Negligence of officers

अफसरों की लापरवाही: ज़िंदगीभर मूक-बधिर रहने का अभिशाप झेलेंगे 27 बच्चे

अफसरों की लापरवाही: ज़िंदगीभर मूक-बधिर रहने का अभिशाप झेलेंगे 27 बच्चे

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:21 PM IST, Published Date : August 10, 2017/10:28 am IST

मध्य प्रदेश में अफसरों की लापरवाही के कारण ग्वालियर चंबल अंचल के 27 बच्चे जिंदगीभर मूक-बधिर होने का अभिशाप झेलेंगे। इन बच्चों की पांच वर्ष की आयु तक कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी होनी थी। लेकिन ऑडियोमीटरी जांच व मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना की बैठक समय पर नहीं होने के कारण ये बच्चे साढ़े पांच से साढ़े सात वर्ष की आयु के हो गए। अब अफसर विशेष अनुमति का इंतजार कर रहे हैं.

ये हैं मालती  ग्वालियर के भीम नगर में रहती हैं. मालती जाटव के बेटे अरूण भी मूक बाधिर है. मालती ने अपने अरूण के लिए सरकारी अफसरों के लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक सर्जरी करने की गुहार लगा ली. लेकिन सरकारी पेंच में फंसी योजना का लाभ इनके बेटे तक नहीं पहुंच पा रहा.

दरअसल बोलने सुनने में असमर्थ (मूक-बधिर) बच्चों की कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी के मामले में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अफसर गूंगे-बहरे बन गए हैं. ग्वालियर, गुना, मुरैना, भिंड, दतिया सहित अंचल के 44 मूक -बधिर बच्चों की कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी के लिए 27 जुलाई को तकनीकी समिति की मीटिंग हुई थी। मीटिंग में 17 बच्चों को बाल श्रवण योजना में सर्जरी की स्वीकृति प्रदान की गई। लेकिन 27 बच्चों की सर्जरी को स्वीकृति नहीं मिल पाई क्योंकि उनकी उम्र पांच साल से अधिक हो चुकी है। लेकिन वजह ये थी, इन बच्चों को कभी डॉक्यूमेंट तो, कभी बैठक के चक्कर में मीटिंग नही हुई. जिससे इन बच्चों की उम्र 5 साल से ज्यादा हो गयी. हालांकि प्रशासन अपनी गलती मानते हुए जांच की बात कह रहा है. 

 

कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरी में एक बच्चे पर करीब 8 लाख रुपए का खर्च आता है। बाल श्रवण योजना के तहत यह पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करती है। इस खर्च में सर्जरी, स्पीच थेरेपी और मैपिंग भी शामिल है। जिन 27 बच्चों की सर्जरी ओवरऐज होने के कारण अटकी है। उनके परिजनों के पास इतना पैसा नहीं है कि वे खुद के खर्च से इलाज करा सकें। यही कारण है कि वे इस मामले में पूरी तरह से सरकार के रहमों करम पर हैं। 

 

आइये आपको बताते हैं कि क्या है कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी ?…. 

 

– कॉकलियर इम्प्लांट वो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो सुनने वाली इंद्रियों में इलेक्ट्रिक तरंगे पैदा करता है

– कॉकलियर इम्प्लांट डिवाइस में दो यंत्र होते है

– एक बच्चों के कान के ऊपरी हिस्से में ट्रांसमीटर लगाया जाता है

– जबकि दूसरा कान के ऊपर माइक्रोफोन और उससे जुड़ा एक इलेक्ट्रोड कान के अंदर नर्वस सिस्टम तक लगता है

– डिवाइस बैटरी से चलता है, 

– इसमें लगी बैटरी एक बार चार्ज होने पर चार से पांच दिन तक चलती है

– डाक्टरों के मुताबिक़ जिस बच्चे की सुनने की क्षमता ना के बराबर होती है। उन बच्चो में एक ऑपरेशन के जरिये इस डिवाइस को बच्चे के सिर और कान में फिट किया जाता है

– इसके बाद जब बच्चे को आवाज लगाई जाती है या ताली बजाई जाती है – तब माइक्रोफोन के जरिये इसकी आवाज नर्वस सिस्टम तक पहुंचती है

– आवाज के नर्वस सिस्टम तक पहुँचने के बाद मस्तिष्क में लगे डिवाइस के जरिये बच्चे के ब्रेन में एक तरंग उठती है, जिससे बच्चा उस आवाज पर हरकत करने लगता है

– बच्चा हर आवाज पर हरकत करे इसके लिए बच्चों को हर दूसरे दिन स्पीच थैरेपी करवानी पड़ती है