निर्भया गैंगरेप केस : दोषियों की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज, फांसी से बचने का अब बस एक रास्ता | Nirbhaya gang rape case: Curative petition of the culprits dismissed Now just a way to avoid hanging

निर्भया गैंगरेप केस : दोषियों की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज, फांसी से बचने का अब बस एक रास्ता

निर्भया गैंगरेप केस : दोषियों की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज, फांसी से बचने का अब बस एक रास्ता

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:55 PM IST, Published Date : January 14, 2020/10:25 am IST

नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप केस में पटियाला हाउस कोर्ट से डेथ वॉरंट जारी होने के बाद 2 दोषियों विनय और मुकेश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई क्यूरेटिव पिटीशन को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दोषी विनय शर्मा और मुकेश सिंह ने डेथ वारंट इश्यु होने के बाद क्युरेटिव पिटीशन दायर की थी। क्यूरेटिव पिटिशन पर सुनवाई खुली अदालत में न होकर जजों के चैंबर में हुई, इस दौरान किसी भी पक्ष के वकील को मौजूद होने और बहस करने की इजाज़त नहीं थी।

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जस्टिस एनवी रमना, अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन, आर. भानुमति और अशोक भूषण की बेंच इस मामले पर सुनवाई की। क्यूरेटिव पिटीशन को कोर्ट ने खारिज होने के साथ ही निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दिए जाने का रास्ते में अब बस राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने फिर खारिज होने का विकल्प शेष है।

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निर्भया के दोषी विनय शर्मा के वकील एपी सिंह ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में 9 जनवरी और मुकेश सिंह के वकील वृंदा ग्रोवर ने 10 जनवरी को क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी। पिटीशन में दोनों दोषियों की फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदलने की मांग की गई थी। विनय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय सहित सभी अदालतों ने मीडिया और नेताओं के दबाव में आकर उन्हें दोषी ठहराया है। गरीब होने के कारण उसे मौत की सजा सुनाई गई है। विनय ने दलील दी कि जेसिका लाल मर्डर केस में दोषी मनु शर्मा ने नृशंस और अकारण हत्या की थी, लेकिन उसे सिर्फ उम्रकैद की सजा दी गई।

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क्यूरेटिव पिटीशन की जानकारी-
क्यूरेटिव पिटीशन को न्यायिक व्यवस्था में इंसाफ पाने के आखिरी उपाय के तौर पर जाना जाता है। ये अंतिम उपाय है, जिसके जरिए कोई अनसुनी रह गई बात या तथ्य पर कोर्ट विचार करती है। ये सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था है, जो उसकी ही शक्तियों के खिलाफ काम करती है। क्यूरेटिव पिटीशन में पूरे फैसले पर चर्चा नहीं होती है। इसमें सिर्फ कुछ बिन्दुओं पर दोबारा से विचार किया जाता है। कोर्ट में आखिरी विकल्प के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। निर्भया केस के आरोपी अपने फांसी की सजा टालने के आखिरी उपाय के तौर पर इसे अपना रहे हैं। वो चाहते हैं कि किसी भी तरह से उनकी फांसी की सजा उम्रकैद में बदल जाए।