8 महीने और 6 स्क्रीनिंग के बाद नो फ़ादर्स इन कश्मीर को मिला U/A सर्टिफिकेट | no fathers in kashmir u/a certificate

8 महीने और 6 स्क्रीनिंग के बाद नो फ़ादर्स इन कश्मीर को मिला U/A सर्टिफिकेट

8 महीने और 6 स्क्रीनिंग के बाद नो फ़ादर्स इन कश्मीर को मिला U/A सर्टिफिकेट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 AM IST, Published Date : March 11, 2019/12:08 pm IST

मुंबई। निर्देशक अश्विन कुमार आखिर अपनी आने वाली फिल्म नो फ़ादर्स इन कश्मीर को U/A सर्टिफ़िकेट दिलाने की जंग में सफलता प्राप्त कर लिए है। बता दें कि सेंसर सर्टिफ़िकेट पाने के लिए जुलाई 2018 में फ़ाइल करने के बाद से ही उन पर बहुत अधिक दबाव था।

लेकिन निर्देशक ने फिल्म को इंसाफ दिलाने के लिए हर तरह की तकलीफों का सामना किया। बता दें कि इसके लिए फ़िल्म निर्माताओं और कलाकारों को 8 महीने, 6 स्क्रीनिंग्स और 7 सुनवाईयों तक इंतज़ार करना पड़ा है। इस फिल्म के साथ कुछ ऐसा हुआ है जो शायद ही कभी होता है, जिसमें प्रमाणन के लिए देरी पर देरी होती रही और आख़िरकार इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अपनी फ़िल्म के विषय के आधार पर सीबीएफसी के द्वारा फ़िल्म को ए सर्टिफ़िकेट देने का फैसला फ़िल्म के निर्माताओं को ग़लत लगा और उस फ़ैसले को चुनौती देने के बाद, उन्होंने पहले नवंबर में एफसीएटी में अर्ज़ी दी जिसपर दिसंबर में और बाद में जनवरी में सुनवाई हुई थी।

 

अब एफसीएटी ने दूसरी बार फ़िल्म को देखने के एक महीने के बाद इस फ़िल्म पर अपना आख़िरी फ़ैसला दे दिया है जिसमें फ़िल्म में कुछ कांट छांट करने और कुछ स्टोरी में बदलाव करने के लिए कहा गया है। हालाँकि सबसे अहम बात यह है कि एफसीएटी ने इस फ़िल्म को यू/ए सर्टिफ़िकेट देकर फ़िल्म के निर्माताओं द्वारा इस फ़िल्म को यू/ए कहे जाने के समर्थन की पुष्टि की है। हालाँकि यह फैसला अभी निर्माताओं के द्वारा अंतिम सर्टिफ़िकेट पाने के लिए सीबीएफ़सी को प्रस्तुत करने पर टिका है। फ़िल्म में सोनी राजदान, अंशुमान झा और कुलभूषण खरबंदा हैं और 16 साल के दो क़िरदारों की प्रेम कहानी के बारे में है जो घाटी में लापता हो गए अपने-अपने पिता की तलाश करते हैं।

 
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