अब जनरल कोच में भी मिलेगी कंफर्म सीट, बायोमीट्रिक एंट्री का सफल रहा ट्रायल | Now the general coach will also get the confirmation seat Successful Trials of Biometric Entry

अब जनरल कोच में भी मिलेगी कंफर्म सीट, बायोमीट्रिक एंट्री का सफल रहा ट्रायल

अब जनरल कोच में भी मिलेगी कंफर्म सीट, बायोमीट्रिक एंट्री का सफल रहा ट्रायल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:47 PM IST, Published Date : July 23, 2019/1:01 pm IST

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिल रहे हैं । मोदी सरकार ट्रेनों में सुविधाए बढ़ाने के लिए लगातार कोशिशें कर रही है। पुष्पक एक्सप्रेस के बाद अब अन्य ट्रेनों के सामान्य कोच में सवार होने या सीट के लिए धक्कामुक्की और मारपीट की नौबत नहीं आएगी। फर्स्ट कम- फर्स्ट गेट के रुल पर आपको आसानी से सीट मिल जाएगी। इसके लिए रेलवे सुरक्षा बल यानि आरपीएफ ने खास पहल की है। मुंबई के सीएसटी यानि छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से लखनऊ के लिए चलने वाली पुष्पक एक्सप्रेस में बायोमीट्रिक सिस्टम का परीक्षण बेहद सफल रहा है। इस ट्रेन के बाद देश की अन्य ट्रेनों में भी ये सिस्टम लागू किया जा सकता है।

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बायोमीट्रिक एंट्री सिस्टम लागू होने से वही यात्री डिब्बों में सवार हो सकेंगे जिन्होंने पहले ही बैठने के लिए अपनी सीट सुरक्षित कर ली है। रेल मंत्री पीयूष गोयल के निर्देशानुसार यात्रियों की सुविधा के लिए आरपीएफ की ओर से की गई यह पहल की गई है। ये सिस्टम स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ संभालने में बेहद कारगार साबित हो रहा है।
यात्रियों की तकलीफ को देखते हुए आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार ने परीक्षण के तौर पर पहले लंबी दूरी की और बहुत भीड़भाड़ वाली पुष्पक एक्सप्रेस में बायोमीट्रिक सिस्टम लागू करने की योजना बनाई थी। डीजी अरुण कुमार ने तकनीक के माध्यम से जनरल कोच में भीड़ पर नियंत्रण पा लिया। इस तकनीक से यात्रियों में होने वाला विवाद भी खत्म हो गया।

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बायोमीट्रिक सिस्टम के काम करना का तरीका

यात्री जब स्टेशन पर पहुंचेंगे तो संबंधित ट्रेन में सवार होने के लिए उन्हें बायोमीट्रिक सिस्टम का उपयोग करना होगा। यात्री को मशीन में अंगुली लगाकर फिंगर प्रिंट देना होगा। फिंगर प्रिंट देने के बाद बोगी में आपके लिए सीट आरक्षित हो जाएगी। इसके बाद आपको टेंशन नहीं लेनी है। आपको प्लेटफॉर्म पर या फिर गाड़ी आने पर सीट के लिए जद्दोजहद करने की भी जरुरुत नहीं है। जब ट्रेन का समय होगा, तब आप मौके पर पहुंचकर और फिर से अपना फिंगर प्रिंट मैच कराने पर आपको आरपीएफ की ओर से बोगी में एंट्री मिल जाएगी। आपको सीट भी उपलब्ध करा दी जाएगी। बोगी की जितनी क्षमता होगी, उतनी ही मशीन फिंगर प्रिंट लेगी। इस तरह पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर लोगों को आसानी से सीट मिल जाएगी। उन्हें सीट के लिए मारामारी करने की जरूरत नहीं होगी। देरी से आने वाले लोग भी चढ़ सकेंगे, मगर उन्हें सीट नहीं मिल पाएगी।

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