अभिमान हमें है खुद पर
कि हम ‘हिन्दी’ हैं
देश हमारा हिन्दी है
वेश हमारा हिन्दी है
हम हिन्दी खाते-पीते हैं
हिन्दी में ही जीते-मरते हैं
रोटी थाली में हिन्दी की
घूंट नीर के हिन्दी हैं
हंसी-ठिठोली हिन्दी की
करुणा, क्रंदन हिन्दी है
वेग पवन का हिन्दी है
तो बहती जलधारा हिन्दी है
मिलना-जुलना हिन्दी है
और बिछड़े तो दुख हिन्दी है
हिन्दी ही आवेग हमारा
और ठहरे तो हिन्दी है
रस्ता, मंजिल, पग-पग हिन्दी
जीवन सफर भी हिन्दी है
उठकर गिरना गिरके संभलना
हर सीख बड़ों की हिन्दी है
भाषा तो कई एक मगर
खून में बसती हिन्दी है……..
खबर एनआईए विस्फोट गिरफ्तार
32 mins ago