इस काम के लिए भारत सरकार ने किया था पद्मश्री से सम्मानित, चिंटियों के अंडे खाकर कर रहा गुजारा | padma shri awardee farmer eating ant eggs for survival

इस काम के लिए भारत सरकार ने किया था पद्मश्री से सम्मानित, चिंटियों के अंडे खाकर कर रहा गुजारा

इस काम के लिए भारत सरकार ने किया था पद्मश्री से सम्मानित, चिंटियों के अंडे खाकर कर रहा गुजारा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : June 25, 2019/12:17 pm IST

भुवनेश्वर: भारत में ऐसा पहले ​कई बार हो चुका है जब राष्ट्रपति, पद्मश्री और उन्य अवार्ड से सम्मानित किए गए लोगों ने सम्मान लौटाने की इच्छा जताई है। ऐसा ही एक मामला ओडिशा से सामने आया है। पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित व्यक्ति इन दिनों काम नहीं मिलने के चलते चिटियों के अंडे खाकर गुजारा कर रहा है और काम नहीं मिलने के चलते वे अपना सम्मान भारत सरकार को लौटाना चाहते हैं।

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ये कहानी है पद्मश्री से सम्मानित ओडिशा के किसान दैतारी नायक की। दैतारी नायक ने साल 2010 से 2013 के बीच अकेले ही गोनासिका का पहाड़ खोदकर तीन किलोमीटर लंबी नहर बना ​दिया था। इसके बाद से आस-पास की जमीन उपजाऊ हो गई। इस बात के लिए सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था।

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दैतारी नायक का कहना है कि पद्मश्री अवार्ड मिलने के बाद भी मेरी हालत पहले जैसी ही है। सम्मान मिलने से पहले तो कुछ काम मिल जाता था, लेकिन अब काम मांगने जाओ तो लोग कहते हैं कि आपकी हैसीयत के लायक हामरे पास काम नहीं है। हालात ऐसा है कि मुझे चिटियों के अंडे खाकर गुजारा करना पड़ रहा है।

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नायक को सरकार की ओर से प्रतिमाह 700 रुपए पेशन मिलता है, जो पूरे परिवार के लिए काफी नहीं है। नायक ने बताया कि अब वे तेंदु पत्ता और पापड़े बेंचकर अपना गुजारा करते हैं। पद्मश्री अवॉर्ड की कोई कीमत नहीं है मेरे लिए। मैं यह पुरस्कार लौटाना चाहता हूं जिससे की मुझे कुछ काम मिल जाए। परिवार चलाने में हो रही दिक्कतों को लेकर नायक ने अवॉर्ड में मिले मेडल को वहां टांग दिया जहां बकरियां बांधते हैं।

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