निजी अस्पतालों को सरकार का निर्देश, कहा- कोरोना मरीजों से अधिक पैसे लेने की शिकायत मिलने पर निरस्त हो सकती है इलाज की अनुमति | Permission for treatment may be canceled on receipt of complaint from Corona patients for taking more money: CG Government

निजी अस्पतालों को सरकार का निर्देश, कहा- कोरोना मरीजों से अधिक पैसे लेने की शिकायत मिलने पर निरस्त हो सकती है इलाज की अनुमति

निजी अस्पतालों को सरकार का निर्देश, कहा- कोरोना मरीजों से अधिक पैसे लेने की शिकायत मिलने पर निरस्त हो सकती है इलाज की अनुमति

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:58 PM IST, Published Date : September 22, 2020/1:56 pm IST

रायपुर: निजी अस्पतालों द्वारा कोविड-19 के मरीजों से इलाज के लिए शासन द्वारा पूर्व में निर्धारित शुल्क से यदि अधिक शुल्क लेने की शिकायत प्राप्त होगी तो आवश्यकता पड़ने पर उस चिकित्सालय को इलाज के लिए प्रदान की गई अनुमति निरस्त की जा सकती है। संचालक स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड़ ने इस संबंध में सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।

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जारी निर्देश में कहा गया है कि निर्धारित शुल्क से अधिक लेने की शिकायत प्राप्त होने पर एपिडेमिक डिसीज एक्ट 1897,छत्तीसगढ़ पब्लिक एक्ट1949तथा छत्तीसगढ़़ एपिडेमिक डिसीज कोविड 19 रेगुलेशन एक्ट 2020 के तहत कार्यवाही करें । इस आशय की जानकारी जिला कलेक्टर को दी जाए और उनके निर्देशानुसार आवश्यकता पड़ने पर उस चिकित्सालय को कोविड 19के इलाज के लिए प्रदान की गई अनुमति निरस्त की जाए।

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राज्य शासन ने 5 सितंबर को आदेश जारी कर निजी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए दर का निर्धारण किया है। निजी अस्पतालों में उपलब्ध सुपरस्पेशियालिटी सुविधाओं के आधार पर इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा गया है। ए-श्रेणी में रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर, कोरबा और रायगढ़ जिले के अस्पतालों को रखा गया है। बी-श्रेणी में सरगुजा, महासमुंद, धमतरी, कांकेर, जांजगीर-चांपा, बलौदाबाजार-भाटापारा, कबीरधाम एवं बस्तर जिले के अस्पतालों को रखा गया है। शेष जिलों के अस्पताल सी-श्रेणी में शामिल हैं। निजी अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज में होने वाला व्यय मरीज को स्वयं वहन करना होगा।

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ए-श्रेणी वाले जिलों के एन.ए.बी.एच. मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों में मॉडरेट स्थिति वाले मरीजों के इलाज के लिए प्रतिदिन 6200 रूपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। इसमें सर्पोर्टिव केयर आइसोलेशन बेड के साथ आक्सीजन एवं पीपीई किट की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। गंभीर स्थिति वाले मरीजों के उपचार के लिए रोजाना 12 हजार रूपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। इसमें वेंटिलेटर केयर के बिना आईसीयू और पीपीई किट शामिल है। अति गंभीर मरीजों के इलाज के लिए 17 हजार रूपए प्रतिदिन की दर निर्धारित की गई है। इसमें वेंटिलेटर केयर के साथ आईसीयू एवं पीपीई किट शामिल है। वहीं एन.ए.बी.एच. से गैर मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों के लिए मॉडरेट, गंभीर और अति गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्रतिदिन 6200 रूपए, दस हजार रूपए एवं 14 हजार रूपए का शुल्क निर्धारित किया गया है।

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बी-श्रेणी में शामिल जिलों के सुपरस्पेशियालिटी सुविधा वाले अस्पताल तीनों स्थिति (मॉडरेट, गंभीर और अति गंभीर) के मरीजों के इलाज के लिए ए-श्रेणी के लिए निर्धारित दर का 80 प्रतिशत और सी-श्रेणी वाले जिलों के अस्पताल 60 प्रतिशत शुल्क ले सकेंगे।

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सभी अस्पताल डायग्नोसिस के लिए आयुष्मान भारत एवं डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत आई.पी.डी. मरीजों के लिए निर्धारित शुल्क ही लेंगे। जहां ये योजनाएं लागू नहीं है वहां सीजीएचएस दरों के अनुसार शुल्क लिया जाएगा। सभी अस्पतालों में दवाईयों की कीमत वास्तविक बाजार मूल्य के अनुसार ही लिए जाएंगे।

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