प्रणव की किताब में पीएम न बन पाने की कसक, मनमोहन बोले-मेरे पास तो विकल्प ही न था | PM can not become PM in Pranav's book

प्रणव की किताब में पीएम न बन पाने की कसक, मनमोहन बोले-मेरे पास तो विकल्प ही न था

प्रणव की किताब में पीएम न बन पाने की कसक, मनमोहन बोले-मेरे पास तो विकल्प ही न था

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:18 PM IST, Published Date : October 14, 2017/12:20 pm IST

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुझे पिता की तरह रास्ता दिखाया: पीएम मोदी

देश के दो दिग्गज राजनीतिज्ञ पिछले दो दिन से एक बार फिर जबर्दस्त चर्चा में हैं और ये हैं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनने से पहले कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों में देश के अहम मंत्रालयों को संभालने के साथ-साथ अपनी पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकारों में हमेशा शुमार रहे। दूसरी ओर, डॉ. मनमोहन सिंह लगातार 10 साल तक प्रधानमंत्री पद पर रहे और वैश्विक आर्थिक मंदी के बड़े संकट के बावजूद देश को संकट से बचाए रखने का श्रेय हासिल किया। 

देश में असहिष्णु भारतीयों के लिए समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए: प्रणब मुखर्जी

शुक्रवार को दोनों ही दिल्ली में एक मंच पर अगल-बगल बैठे और वहीं से इस दिलचस्प ख़बर ने जन्म लिया।

दरअसल, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा के तीसरे पार्ट “द कोएलिशन इयर्स 1996-2012’ लिखी है, जिसके विमोचन अवसर पर डॉ. मनमोहन सिंह भी मौजूद थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस किताब में प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि 2012 में जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात हुई तो उन्हें ये आभास हुआ कि डॉ. मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति पद का यूपीए की ओर से दावेदार बनाया जाएगा और प्रधानमंत्री के रूप में स्वाभाविक तौर पर उनका (प्रणब मुखर्जी) नाम आगे किया जाएगा। 

सादगी और शांत स्वभाव वाले मनमोहन सिंह हैं देश के आर्थिक सुधारों के जनक

सोनिया गांधी ने उनसे (प्रणब मुखर्जी) कहा था, “आप इस पद के लिए सबसे बेहतर दावेदार हैं, लेकिन आप सरकार में एक ज़िम्मेदार भूमिका निभा रहे हैं तो क्या आप ऐसे में कोई दूसरा नाम सुझा सकते हैं.” प्रणब मुखर्जी ने लिखा है, ‘‘यह व्यापक उम्मीद थी कि सोनिया गांधी के मना करने के बाद प्रधानमंत्री के लिए मैं ही अगली पंसद रहूंगा।‘

विजय माल्या के गारंटर होने की सजा भुगत रहे ‘मनमोहन सिंह’

डॉ. मनमोहन सिंह वैसे तो कम बोलने वाले व्यक्ति के रूप में मशहूर हैं, लेकिन प्रणब मुखर्जी की किताब के विमोचन के मौके पर उन्होंने खुलकर अपने दिल की बात रखी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के मामले में उनके पास तो कोई विकल्प ही नहीं बचा था और ये बात पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अच्छी तरह जानते थे। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति को प्रतिष्ठित एवं जिंदादिल सांसद एवं कांग्रेस जन के रूप में याद करते हुए कहा कि पार्टी में हर कोई उनसे जटिल एवं मुश्किल मुद्दों के हल की उम्मीद करते थे। 

मनमोहन सिंह ने 2004 में अपने प्रधानमंत्री बनने का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में चुना और ‘‘प्रणबजी मेरे बहुत ही प्रतिष्ठित सहयोगी थे।’’ उन्होंने कहा,, ‘‘इनके (मुखर्जी के) पास यह शिकायत करने के सभी कारण थे कि मेरे प्रधानमंत्री बनने की तुलना में वह इस पद (प्रधानमंत्री) के लिए अधिक योग्य हैं।… पर वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानते थे कि मेरे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था।’’ 

जब डॉ. मनमोहन सिंह ने इस साफगोई के साथ अपने दिल की बात साझा की तो न केवल प्रणब मुखर्जी तथा मंच पर बैठे सभी नेता बल्कि श्रोताओं की अग्रिम पंक्ति में बैठी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत सभी लोग हंस पड़े। प्रणब मुखर्जी की पुस्तक के विमोचन अवसर पर सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता सुधाकर रेड्डी, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, डीएमके नेता कानिमोई मंच पर मौजूद थें।

 

वेब डेस्क, IBC24

 
Flowers