नई दिल्ली। युवाओं में अपार क्षमता होती है। ये वो उम्र होती है, जहां कई सारे विचार जन्म लेते हैं। युवावस्था में कई सारे मुद्दों पर लिखने की क्षमता होती है। कई युवा फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर लिखते भी हैं। हालांकि कई उचित प्लेटफॉर्म नहीं मिलने की वजह से युवा पीछे रह जाते हैं। ऐसे युवाओं के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने एक योजना लॉन्च की है, जिसमें यदि आपकी उम्र 30 वर्ष से कम है तो आप इसमें पार्टीसिपेट कर सकते हैं। केंद्र सरकार की इस योजना का नाम YUVA है। इस प्लेटफॉर्म के जरिए से युवा लेखक भारत की विरासत और इतिहास को बढ़ावा दे सकते हैं। इस योजना के तहत श्रेष्ठ लेखकों को 50 हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे।
पीएम नरेंद्र मोदी ने इस बारे में ट्वीट करते हुए कहा कि इस योजना का उद्देश्य भारतीय विरासत, संस्कृति और ज्ञान को बढ़ावा देना है। इसके लिए 30 साल से कम उम्र के युवा लेखकों का एक ग्रुप बनाना है। यह प्लान यूथ को लेखन के जरिए से देश के बौद्धिक डिसकोर्स में योगदान देने के लिए एक बेहतर अवसर देती है।
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पीएम मोदी ने ट्विटर पर एक लिंक भी शेयर किया है, जिसमें योजना के बारे में पूरी जानकारी है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 युवाओं को सशक्त बनाने और सीखने वाला इकोसिस्टम बनाने पर जोर देती है, जिससे वे भविष्य की नेतृत्व भूमिकाओं के लिए तैयार हो सकें।
इस योजना के बारे में सरकार के ट्विटर अकाउंट ‘मायजीओवीहिंदी’ ने बताया है कि योजना के अंतर्गत 75 चयनित लेखकों को 50 हजार रु महीने की स्कॉलिरशिप दी जाएगी। ट्वीट में कहा गया है, ”क्या आप एक लोकप्रिय लेखक बनना चाहते हैं? नवोदित लेखकों को परामर्श व प्रशिक्षण हेतु प्रधानमंत्री की YUVA योजना से जुड़ें। 75 चयनित लेखकों को 50,000 रुपये /माह की छात्रवृत्ति मिलेगी। अधिक जानकारी के लिए यहां विजिट करें।
क्या आप एक लोकप्रिय लेखक बनना चाहते हैं? नवोदित लेखकों को परामर्श व प्रशिक्षण हेतु प्रधानमंत्री की YUVA योजना से जुडें! 75 चयनित लेखकों को ₹50,000/माह की छात्रवृत्ति मिलेगी! अधिक जानकारी के लिए विजिट करें: https://t.co/ciHnZFvuDf pic.twitter.com/tHIsmacxte
— MyGovHindi (@MyGovHindi) June 8, 2021
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योजना में जानकारी दी गई है कि भारत, आजादी के 75 वर्ष पूरे करने की दिशा की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में यह योजना भारतीय साहित्य के आधुनिक राजदूतों को विकसित करने की कल्पना करती है। पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में हमारा देश तीसरे स्थान पर है और स्वदेशी साहित्य के इस खजाने को और बढ़ावा देने के लिए, यह जरूरी है कि हम इसे वैश्विक स्तर पर पेश करें।