रायपुर। ऐसे नवजात जिनके रेटिना डेवलप नहीं है, रायपुर में अब उनका भी इलाज संभव है, रायपुर के एमजीएम आई हॉस्पिटल में डॉक्टरों की एक टीम पिछले 3 साल में 4 हजार परीक्षण कर 250 बच्चों का सफल लेजर कर चुके हैं। आज रविवार को MGM परिसर में ऐसे ही 40 बच्चों का गेट-टू-गेदर किया गया। जहाँ बच्चों की आंख का परीक्षण किया गया।
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यहां गेट-टू-गेदर में पहुंचे परिजनों ने अपने अनुभव साझा किए। ऐसे बच्चे जो समय से पहले जन्म लेते हैं, प्री-मैच्योर होने के कारण उनमे रेटिना डेवलप नहीं होती। जानकारी के अभाव में माता-पिता भी इसे नहीं जान पाते। जिससे बच्चा अंधत्व का शिकार हो जाता है।
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हॉस्पिटल की डायरेक्टर डॉक्टर दीपशिखा अग्रवाल बता रही है अगर समय पर आरओपी यानि रेटिनोपैथी ऑफ प्री-मैच्योरिटी की जांच और इलाज हो जाये तो 100 फीसदी आंखों की रोशनी वापस आ सकती है। प्री-मैच्योर जन्म लेने वाले बच्चों में 40 फीसदी इस बीमारी के शिकार होते हैं। फ़िलहाल इलाज के साथ एमजीएम हॉस्पिटल ने एक आरओपी क्लब भी बना दिया गया है। जिससे लोग आपस में बातचीत करने के अलावा, साझा प्रयास से अन्य लोगों को भी जागरूक कर सकें।
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