रायपुर। हमें ज्यादातर ऐसी खबरें पढ़ने और सुनने को मिलती हैं कि सरकारी पद पर आसीन व्यक्ति गरीबों की मज़बूरी नहीं समझ पाते या फिर उनकी बार-बार की शिकायतों पर भी उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। आज हम आपको एक ऐसी खबर बताने जा रहे हैं, जो इस सोच के ठीक विपरीत है। हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की ये घटना, जो शायद हमारे मन में बसे सरकारी अफसर की छवि को बदल दे।
गरीब और मेंटली रिटार्डेड विजय कुमार साहू नाम का एक बच्चा सड़क पर दौड़ती जिस भी गाड़ी को देखता, जोर- जोर से ताली बजा कर खुश हो जाता था। गरीब मां उसे हंसते देखकर चेहरे पर मुस्कान बिखेर देती और अंदर ही अंदर दुखी होती कि जिस गरीबी के चलते वो बच्चे को स्कूल नहीं भेज पा रही है, उसे गाड़ी और बंगले का सपना कैसे दिखाती? आपको बता दें कि विजय कुमार साहू पैदायशी दिव्यांग है. वो बोल भी नहीं पाता है और इशारों से अपनी बात समझाता है. विजय मंदबुद्धि है और सामान्य जीवन जीने में भी उसे बेहद तकलीफों का सामना करना पड़ता है. विजय के पिता का निधन हो चुका है और मां मजदूरी करके जैसे-तैसे विजय और खुद का पेट पाल रही है. विजय 4 भाई-बहनों में सबसे बड़ा है, लेकिन गरीब मां के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो उसका इलाज करा सके. स्थानीय लोगों ने विजय की माँ की स्थिति को देखते हुए उसके लाज और पढ़ाई के लिए समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन सचिव सोनमणि बोरा से संपर्क किया.
गंगा में विसर्जित अस्थियां जाती कहां हैं?
और इसके बाद जिस तरह विजय की ज़िंदगी बदल गई, वैसे ही इस खबर से हर सरकारी अफसरों के बारे में समाज की सामान्य सोच भी बदल सकती है। तो हुआ कुछ यूं कि विजय की जानकारी मिलते ही सोनमणि बोरा ने तुरंत विभाग के संयुक्त संचालक पंकज वर्मा और फिजियोथेरेपिस्ट डॉ ललित तिवारी को उसके घर भेजा. अधिकारियों ने उसकी मां से बातचीत की और फिर ये फैसला लिया गया कि विजय की देखरेख का पूरा जिम्मा अब सरकार उठाएगी. इसके बाद उसका एडमिशन माना स्थित अस्थिबाधित विद्यालय में कराया गया. विजय का इलाज भी सरकारी खर्च पर कराया जा रहा है और आज ये गरीब विजय अपने सपनो पर विजय प्राप्त करने की तैयारी में है. उसकी माँ बताती है कि अपने मोहल्ले के बच्चों को स्कूल जाता देख वह भी स्कूल भेजने की जिद किया करता था, लेकिन सामान्य न होने के कारण उसे एडमिशन नहीं मिला। आईएएस अधिकारी सोनमणि बोरा ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि हर आदमी को विजय जैसे दूसरे बच्चों की मदद के लिए सामने आना चाहिए. सरकार की कई योजनाओं हैं, जिनका लाभ उन्हें दिलाया जा सकता है। रायपुर निवासी जो विजय साहू पहले आर्थिक तंगी और पारिवारिक परिस्थितियों के कारण सड़क पर इधर-उधर घूमते रहता था, वो अब स्कूल जाता है, सरकार उसकी देखरेख करती है और ये सब हो सका है सोनमणि बोरा की पहल पर।
रेणु नंदी, IBC24
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