रायपुर। रमन सिंह ने सीएम बघेल को ‘छोटा आदमी’ वाले बयान से यू टर्न ले लिया है। उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी है जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘मैंने छोटा आदमी नहीं कहा, मैंने अटल जी की पंक्ति दोहराई थी। प्रदेश में विकास की योजनाएं बंद की जा रही है। इस पर मैंने बयान दिया था कि बड़ा मन करिए, छोटे मन से काम नहीं होता’। बतादें पूर्व सीएम रमन के एक बयान ने कांग्रेसियों को ‘छोटा आदमी’ बनाने पर मजबूर कर दिया। रमन ने सीएम बघेल को कहा था कि ‘इतना छोटा आदमी, छोटे मन से छोटी-छोटी हरकत करता है, ये सिर्फ मजाक का पात्र बनेगा।
रमन के इस बयान के बाद सीएम बघेल स्वीकार किया कि हां मैं छोटा आदमी हूं। किसान का बेटा हूं।
हां! मैं छोटा आदमी हूं, एक किसान का बेटा हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि मैं ऐसा ही रहूं हमेशा। ताकि बस्तर से लेकर सरगुजा तक और रायपुर से लेकर सुपेबेड़ा तक हर किसान, आदिवासी, युवा और आम जनता के बीच मैं सहज उपलब्ध रह सकूं।
आप ‘बड़े आदमी’ बन गए थे। वह आपको ही मुबारक, रमन जी। pic.twitter.com/u6SB6CyqH7
— छोटा आदमी Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) April 13, 2019
पूर्व सीएम के बयान के बाद सीएम भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया अपना नाम छोटा आदमी कर ये पोस्ट किया था। आप भी पढ़िए
हां, मैं छोटा आदमी हूं.
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी ने एक राजनीतिक कैंपेन के सवाल पर कहा है कि मैं छोटा आदमी हूं, छोटे मन से मैं छोटी छोटी हरकतें करता रहता हूं. मैंने मीडिया की ओर से जारी वीडियो पर इसे देखा।
वे वरिष्ठ हैं राजनेता हैं। उम्र में मुझसे बहुत बड़े हैं। सांसद रहे, केंद्र में मंत्री रहे, 15 वर्षों तक छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रहे तो ज़ाहिर है कि ‘बड़े आदमी’ बन गए हैं। मैं उनके ‘बड़ेपन’ को प्रणाम करता हूं।
मैं स्वीकार करता हूं कि मैं छोटा आदमी हूं। किसान का बेटा हूं। खेत खलिहानों में काम-काज करते और साथ में पढ़ाई करते बड़ा हुआ हूं। हल चलाया, ट्रैक्टर चलाया, निंदाई की और धान काटकर मिंजाई की है. मंडी में जाकर धान बेचा है. लोगों के साथ संघर्ष करते करते राजनीति में आया तो भी मेरी राजनीति समाज के उस वर्ग से जुड़ी रही जो दबे थे, कुचले थे, जो ज़रूरतमंद थे।
पिछले चुनाव के बाद जनता ने कांग्रेस को बहुमत दिया। मुझे मेरी पार्टी ने मुख्यमंत्री का पद संभालने का मौक़ा दिया तो भी मेरी सरकार ने उन पर ही ध्यान दिया जो पिछले बरसों में उपेक्षा के सबसे अधिक शिकार थे। हमने सबसे पहले किसानों का कर्ज़ माफ़ किया, फिर किसानों को प्रति क्विंटल धान के लिए 2500 रुपए का मूल्य दिलवाया, हमने बस्तर के लोहांडीगुड़ा के आदिवासियों की ज़मीनें लौटा दीं जो उद्योग के नाम पर हड़प ली गई थीं. हमने तेंदूपत्ता मज़दूरों की मज़दूरी बढ़ा दी. हमने हर परिवार को 35 किलो चावल देने का फ़ैसला किया. हमने सात की जगह 15 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य के दायरे में लाने का फ़ैसला किया. हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ की परियोजना पर काम कर रहे हैं।
अगर किसानों को लाभ पहुंचाना, आदिवासियों को न्याय दिलाना छोटे मन की छोटी हरकत है, तो मुझे अपना छोटापन मंज़ूर है. मैं सौ बार छोटा होकर ग़रीबों, मज़दूरों, किसानों और आदिवासियों के पक्ष में खड़ा होकर छोटा होना पसंद करुंगा. मुझे एक बार भी धनपतियों के पक्ष में खड़ा होकर दबे कुचले लोगों का शोषण कर बड़ा बनना मंज़ूर नहीं है।
मेरी राजनीतिक और सामाजिक सोच आमजन के साथ है. कुछ चुनिंदा ठेकेदारों, धनपतियों और उद्योगपतियों के साथ नहीं. अगर ऐसी सोच से कोई व्यक्ति छोटा होता है, तो मुझे आजीवन छोटा रहना मंज़ूर है. मुझे ईश्वर ऐसा बड़प्पन कभी न दे जो मुझे अपने संघर्ष के दिनों के साथियों को भुला दे, अपने राज्य के दबे कुचले, पीड़ित और शोषित लोगों की सुध लेने से रोक दे।
आपका ‘बड़ापन’ आपको मुबारक हो रमन सिंह जी. मैं छोटा आदमी छोटा ही भला। रमन के बयान का विरोध जताते हु सीएम बघेल के बाद सारे कांग्रेसियों ने भी सोशल मीडिया पर अपना नाम छोटा आदमी कर लिया।