तेंदूपत्ता टेंडर के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार को बड़ी राहत मिली है। तेंदूपत्ता टेंडर में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। अब राज्य शासन पहले से निर्धारित प्रक्रिया के तहत टेंडर जारी रखेगा…वहीं, याचिकाकर्ता संत कुमार नेताम के वकील ने इस मामले को सुप्रीम तक ले जाने की बात कही है…इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, कि याचिकाकर्ता टेंडर में गड़बड़ी साबित करने का कोई आधार पेश नहीं कर सके।
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संतकुमार नेताम ने एक याचिका लगाकर कहा था, कि सरकार ने इस साल तेंदूपत्ता खरीदी का ठेका कम बोली लगाने वालों को दे दिया, जिससे सरकार को करीब 3 सौ करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इससे तेंदूपत्ता तोड़ने में जुटे हजारों आदिवासियों को भी कम बोनस मिलेगा। इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट कोर्ट ने ये शर्त भी लगा दी थी, कि शासन प्रक्रिया जारी रखे, लेकिन ज्यादा रेट वाले को ही टेंडर दे।
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शासन ने अपने जवाब में कहा था, कि इस साल पूरे देश में तेंदूपत्ता की कीमतें गिरी हैं। महाराष्ट्र, तेलंगाना में तो 50 से 70 फीसदी तक कीमतें गिर गई हैं, लिहाज़ा यहां भी कीमतें कम हैं और याचिकाकर्ता ने तीन सौ करोड़ का काल्पनिक आंकड़ा दिया है। कोर्ट ने इस तर्क को माना और अपनी अंतरिम रोक..जिसमें शासन को सबसे ज्यादा रेट वाले को ही टेंडर देने कहा गया था, उसे रद्द कर दिया और सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। वनमंत्री महेश गागड़ा ने इसे सत्य की जीत बताया।
वेब डेस्क, IBC24
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