एक अनोखी परीक्षा - चप्पल वाले आएं, जूते-मोजे वाले या नंगे पांव आएं या वापस जाएं | Restriction on wearing shoes and socks in matriculation exam

एक अनोखी परीक्षा – चप्पल वाले आएं, जूते-मोजे वाले या नंगे पांव आएं या वापस जाएं

एक अनोखी परीक्षा - चप्पल वाले आएं, जूते-मोजे वाले या नंगे पांव आएं या वापस जाएं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : February 21, 2018/6:55 am IST

पटना। बिहार में बुधवार 21 फरवरी से शुरू हुई मैट्रिक परीक्षा में इस बार जूते-मोजे पहनने पर भी रोक लगी हुई है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने 10वीं बोर्ड में शामिल होने वाले सभी परीक्षार्थियों को साफ निर्देश दे रखा है कि अगर वो परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें चप्पल पहनकर आना होगा। कई परीक्षा केंद्रों पर इस निर्देश के बावजूद जो छात्र-छात्राएं जूते पहनकर आए थे, उन्हें परीक्षा कक्ष से बाहर जूते-मोजे उतारने पड़े। 

बिहार में कदाचार, नकल रोकने के लिए ये व्यवस्था की गई है, जिसकी आलोचना भी हो रही है। आपको बता दें कि बिहार में दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में कदाचार रोकना एक बड़ी चुनौती रही है। पिछले दो साल से बोर्ड की सख्ती के कारण परीक्षाओं में शामिल होने वाले आधे से ज्यादा छात्र फेल हुए थे। दूसरी ओर, इन परीक्षाओं में टॉपर घोटाला भी सामने आया था। बिहार स्कूल एक्ज़ामिनेशन बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने इस बार परीक्षा में नकल रोकने के लिए विशेष और सख्त निर्देश जारी किए हैं। चप्पल में छात्रों के आने की हिदायत के अलावा सभी परीक्षा केंद्रों पर वीडियोग्राफी की जा रही है। केंद्र अधीक्षकों को कहा गया है कि वो ऐसे फोन का इस्तेमाल नहीं करें जिसमें मोबाइल कैमरा लगा हो। छात्रों के बैठने की व्यवस्था इस तरह की गई है कि एक बेंच पर एक ही छात्र बैठ सके और परीक्षा केंद्र पर छात्रों की संख्या बेंच की संख्या से ज्यादा हो तो फिर अस्थायी टेंट लगाकर परीक्षा संचालित की जाए। 

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बिहार मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा 21 फरवरी से 28 फरवरी तक दो शिफ्ट में हो रही है। पहली शिफ्ट सुबह 9.30 बजे से 12.45 बजे और दूसरी शिफ्ट दोपहर 2 बजे से लेकर 5.15 बजे तक है। बिहार बोर्ड में इस साल पहली बार OMR यानी ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन के आधार पर परीक्षा कराई जा रही है। राज्यभर में 1426 परीक्षा केंद्रों पर 17 लाख 68 हजार परीक्षार्थी शामिल हो रहे हैं. इनमें से 8 लाख, 91 हजार 243 छात्र और 8 लाख 78 हजार 794 छात्राएं हैं. इन छात्र-छात्राओं में बड़ी संख्या में वो भी शामिल हैं, जो पिछले साल उत्तीर्ण नहीं हो पाए थे।

 

 

 

 

वेब डेस्क, IBC24