ईरान में चाबहार के बाद भारत बना रहा इंडोनेशिया में सबांग बंदरगाह, चीन के खिलाफ रणनीतिक रुप से है अहम | Sabang harbor in Indonesia, India after Chabahar in Iran strategically important to Againest China

ईरान में चाबहार के बाद भारत बना रहा इंडोनेशिया में सबांग बंदरगाह, चीन के खिलाफ रणनीतिक रुप से है अहम

ईरान में चाबहार के बाद भारत बना रहा इंडोनेशिया में सबांग बंदरगाह, चीन के खिलाफ रणनीतिक रुप से है अहम

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : March 21, 2019/9:58 am IST

जकार्ता । चीन द्वारा समुद्री सीमा में भारत को घेरने के बाद अब भारत-इंडोनेशिया मिलकर सबांग बंदरगाह को कंस्ट्रक्ट कर रहे हैं। इससे भारत को मुख्य तौर पर दो फायदे होंगे। पहला कि अब साउथ ईस्ट एशिया के बाजार तक भारत की पहुंच होगी और साथ ही सामरिक स्तर पर भारत को प्लस पॉइंट मिलेगा। यह इसलिए जरूरी है कि चीन इस क्षेत्र में मलक्का के माध्यम से आगे बढ़ रहा है। अब तक इस क्षेत्र को व्यापार की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण समझा जाता रहा है। आसियान देशों से रिश्ते उसी पर केंद्रित भी रहे। लेकिन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ता दबदबा अन्य देशों के लिए खतरा बनता जा रहा है। इसे देखते हुए मोदी सरकार में लुक ईस्ट पॉलिसी को ऐक्ट ईस्ट में बदल दिया गया है।

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भारत और चीन के बीच आजादी के बाद से ही सीमा विवाद चला आ रहा है। तिब्बत पर कब्जा करने के बाद भारत के असम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन नजरें गड़ाए बैठा है। चीन की कोशिश भारत को घेरकर दवाब बनाने की है। इसे देखते हुए उसे काउंटर करना जरूरी तो है, लेकिन इतना आसान नहीं। दरअसल, आसियान में चीन सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। 2008 में यहां उसका निवेश कुल 192 बिलियन डॉलर का था जो 2018 में बढ़कर 515 करोड़ डॉलर हो गया। माना जाता है कि ऐसा करके चीन इस क्षेत्र में अमेरिका की पकड़ को कमजोर करना चाहता है।

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इसे देखते हुए जब पीएम मोदी मई 2018 को इंडोनेशिया दौरे पर गए तो वहां की सरकार से कई समझौते हुए। इंडोनेशिया हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत को समुद्री सहयोग देने पर राजी भी हुआ। इसके बाद पिछले जुलाई में भारत का नौसेनिक पोत आईएनएस सुमित्रा बंदरगाह के दौरे पर गया था। इसके बाद मार्च 2019 में भारतीय तटरक्षक पोत आईएनएस विजित चार दिन के लिए सबांग बंदरगाह के दौरे पर गया था।

 
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