कभी किस्मत ने रुलाया कभी माँ बाप ने उम्मीद छोड़, लेकिन शायद ये डाक्टर का जुन्नू था या फिर उस फरिस्ते रविंद्र की मेहनत जिसने उस बच्ची के जीने की चाहत को मरने नहीं दिया। करीब एक साल पहले एक बच्ची बहुत सुर्खियों में आई थी जिसका नाम था सानिया जी हाँ ये वही सानिया है जिसने अपनी अंतिम इच्छा पुलिस अधिकारी बनने की बताई थी। और इसकी बीमारी को देखते हुए माँ पिता के साथ साथ सभी को लगने लगा था की शायद सानिया अब कुछ ही दिन की मेहमान है जिसके चलते उसे रायपुर पुलिस ने एक दिन का टी आई बनाया।
लेकिन कहते हैं न ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है, जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये, ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे, सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये शायद ऐसा ही कुछ हुआ सानिया साहू के साथ। परिवार के पास पैसा नहीं था इलाज के लिए लेकिन पुलिस ने आगे बढ़ कर मदद की। समाजसेवी रविन्द्र सिंह क्षत्री सुमित फाउंडेशन जीवनदीप के सभी आगे आये और इन सब के बीच बालाजी अस्पताल रायपुर के डायरेक्टर डॉ देवेंद्र नायक ने फरिस्ते के रूप में अपनी भूमिका निभाए।
शायद ये एक मिराईकल ही था कि सीनियर लोकेन सिंड्रोम से ग्रसित ये बच्ची आज हम सब के सामने खड़ी है। इस अद्भुत ऑपरेशन को इंडियन जनरल ऑफ़ एप्लाइड रिसर्च में विश्व में 6 वे नंबर के सफल ट्रांसप्लांट के तौर पर दर्ज किया गया है।
It was indeed what we call to be the moment of a lifetime when, Sania a sufferer of Senior Loken Syndrome but well known to be,”…The One Day Town Inspector of the city…”was gifted with a new leaf of life with absolute free of cost Kidney Transplantation.. pic.twitter.com/IBSmPZwHgW
— Shubhamawasthi (@Shubham02757307) February 16, 2018
डॉ देवेंद्र नायक ने कल सानिया को मीडिया से रूबरू कराने के दौरान बताया कि सानिया की दोनों किडनी ख़राब हो चुकि थी इसके साथ ही उसे साँस लेने में भी प्रॉब्लम थी जिसके कारण उसका किडनी ट्रांसप्लांट करना हाई रिस्क था अमूमन इस तरह के केस में मरीज की जान भी चली जाती है।
इसी दौरान एक बात और भी हुई जब ऑपरेशन के चार दिन बाद सानिया को इन्फेक्शन हो गया और उसकी यूरिन पास नहीं हो रही थी। उस वक्त तो हम सब ने हार मन ली थी लेकिन शायद ईश्वर का चमत्कार और बेहतर डॉ कि टीम ही थी जो सानिया को जल्द ही रिकवर कर दी। इस अद्भुत आपरेशन के बाद सानिया की माँ को तो आज भी यकीन नहीं हो रहा है की उनकी बेटी को नया जीवन मिल गया है। इन बाद जब सानिया की बोलने की बारी आई तो उसने बहुत ही सुरीले शब्दों में छत्तीसगढ़ी गाने से अपनी खुशी जाहिर करी ये बोलकर “बासी चटनी खातों मया के गीत सुनाथो मै हों छत्तीसगारिया सब ले बढ़िया” .
वेब टीम IBC24
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