नई दिल्ली। पांच राज्यों में हो रहे चुनाव के दौरान विपक्ष ने राफेल विमान के सौदे को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है। इसी बीच आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई जारी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।
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ये याचिकाएं एमएल शर्मा, विनीत ढांडा, आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के अलावा यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने दाखिल की हैं। याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच और डील को रद्द करने की मांग की गई है। राफेल की कीमत और फायदे संबंधी एक सीलबंद रिपोर्ट एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है।
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सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कोर्ट के समक्ष अपनी पांच मांगें रखी है। भूषण ने कोर्ट से कहा कि सरकार ने खुद संसद में राफेल डील की कीमत का खुलासा किया है, ऐसे में यहां गोपनीयता मुद्दा नहीं हो सकता। सरकार की यह दलील कि वह कीमत का खुलासा नहीं कर सकती, तर्कहीन है। भूषण ने कहा कि सरकार ने जो नई डील की है उसकी कीमत पहले की डील से 40 प्रतिशत ज्यादा है।
मामले में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह की तरफ से पेश वकील ने पीठ से कहा कि 36 लड़ाकू विमान की कीमत सरकार संसद में दो बार सार्वजनिक कर चुकी है। ऐसे में सरकार का यह कहना कि लड़ाकू विमान की कीमत की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती, यह स्वीकार करने योग्य नहीं है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने राफेल डील की जांच कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह राफेल विमान की कीमतों पर नहीं वायु सेना की जरूरतों पर चर्चा कर रही है। कोर्ट ने साथ ही कहा कि कीमत पर कोई भी चर्चा तभी हो सकती है, जब इन तथ्यों को सार्वजनिक पटल पर आने की अनुमति दी जाएगी।
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